घरेलू हिंसा अधिनियम २००५
धारा २३ :
अंतरिम और एकपक्षीय आदेश देने की शक्ति :
(१) मजिस्ट्रेट, इस अधिनियम के अधीन उसके समक्ष किसी कार्यवाही मं ऐसा अंतरिम आदेश, जो न्यायसंगत और उपयुक्त हो, पारित कर सकेगा।
(२) यदि मजिस्ट्रेट का यह समाधान हो जाता है कि प्रथमदृष्ट्या कोई आवेदन यह प्रकट करता है कि प्रत्यर्थी घरेलू हिंसा क कोई कार्य कर रहा है या उसने किया है, या यह संभावना है कि प्रत्यर्थी घरेलू हिंसा का कोई कार्य कर सकता है, तो वह व्यथित व्यक्ति के ऐसे प्ररूप में जो विहित किया जाए, शपथपत्र के आधार पर, यथास्थिति, धारा १८, धारा १९, धारा २०, धारा २१ या धारा २२ के अधीन प्रत्यर्थी के विरुद्ध एकपक्षीय आदेश दे सकेगा।