गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम १९९४
धारा २८ :
अपराधों का संज्ञान :
(१) कोई भी न्यायालय, इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का संज्ञान,-
(a)(क) संबंधित समुचित प्राधिकारी द्वारा अथवा, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या समुचित प्राधिकारी द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी द्वारा ;या
(b)(ख) ऐसे व्यक्ति द्वारा जिसने अभिकथित अपराध की और न्यायालय में परिवाद करने के अपने आशय की कम से कम १.(पिन्द्रह दिन) की सूचना विहित रीति से समुचित प्राधिकारी को दी है,
किए गए परिवाद पर ही करेगा अन्यथा नहीं।
स्पष्टीकरण :
इस खंड के प्रयोजन के लिए व्यक्ति के अन्तर्गत कोई सामाजिक संगठन है।
(२) महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट से भिन्न कोई न्यायालय इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध का विचारण नहीं करेगा।
(३) जहां कोई परिवाद उपधारा (१) के खंड (ख) के अधीन किया गया है वहां न्यायालय, ऐसे व्यक्ति द्वारा मांग किए जाने पर, समुचित प्राधिकारी को, उसके कब्जे में के सुसंगत अभिलेखों की प्रतियां ऐसे व्यक्ति को उपलब्ध कराने का निदेश दे सकेगा।
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१. २००३ के अधिनियम सं० १४ की धारा २१ द्वारा प्रतिस्थापित ।
