गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम १९९४
धारा ६ :
लिंग अवधारणा का प्रतिषेध :
इस अधिनियम के प्रारंभ से ही,-
(a)(क) कोई भी आनुवंशिकी सलाह केन्द्र या आनुवंशिकी प्रयोगशाला का आनुवंशिकी क्लिनिक किसी प्रसवपूर्व निदान-तकनीक का, जिसके अन्तर्गत भू्रण के लिंग का अवधारण करने के प्रयोजन के लिए पराश्रव्य लेखन है, अपने केन्द्र, प्रयोगशाला या क्लिनिक में उपयोग नहीं करेगा या नहीं कराएगा;
(b)(ख) कोई भी व्यक्ति, किसी भूण के लिंग का अवधारण करने के प्रयोजन के लिए किसी प्रसवपूर्व निदान-तकनीक का, जिसके अन्तर्गत पराश्रव्य लेखन है, उपयोग नहीं करेगा या नहीं कराएगा;
(c)१.(ग) कोई भी व्यक्ति, गर्भ धारण से पूर्व या उसके पश्चात लिंग का चयन किसी भी ढंग से कारित नहीं करेगा या कारित करवाने के लिए अनुज्ञात नहीं करेगा।)
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१. २००३ के अधिनियम सं० १४ की धारा ९ द्वारा अंत:स्थापित ।