गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम १९९४
अध्याय ३ :
प्रसवपूर्व निदान तकनीकों का विनियमन :
धारा ४ :
प्रसवपूर्व निदान-तकनीकों का विनियमन :
इस अधिनियम के प्रारंभ से ही, –
(१) ऐसे किसी भी स्थान का, जिसके अन्तर्गत रजिस्ट्रीकृत आनुवंशिकी सलाह केन्द्र या आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक है, किसी व्यक्ति द्वारा, खंड (२) में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों और खंड (३) में विनिर्दिष्ट किन्हीं बातों को पूरा करने के पश्चात के सिवाय, प्रसवपूर्व निदान-तकनीक प्रक्रिया करने के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा अथवा उपयोग नहीं कराया जाएगा।
(२) कोई भी प्रसवपूर्व निदान-तकनीक का निम्नलिखित अप्रसामान्यताओं में से किसी का पता लगाने के प्रयोजनों के सिवाय, उपयोग नहीं किया जाएगा:
(एक) गुणसूत्री अप्रसामान्यताएं;
(दो) आनुवंशिकी मेटाबोली रोग;
(तीन) हीमोग्लोबिन विकृतियां ;
(चार) लिंग सहलग्न आनुवंशिकता रोग ;
(पांच) जन्मजात विसंगतियां ;
(छह) ऐसी कोई अप्रसामान्यताएं या रोग जो केन्द्रीय पर्यवेक्षण बोर्ड द्वारा विनिर्दिष्ट किए जाएं।
१.(३) किसी भी प्रसवपूर्व निदान-तकनीक का उपयोग या परिचालन तभी किया जाएगा जब ऐसा करने के लिए अर्हित व्यक्ति का उन कारणों से जो लेखबद्ध किए जाएंगे, यह समाधान हो जाता है कि निम्नलिखित किसी शर्त की पूर्ति हो गई है, अर्थात :-
(एक) गर्भवती स्त्री की आयु पैंतीस वर्ष से अधिक है;
(दो) गर्भवती स्त्री के दो या दो से अधिक स्वत: गर्भपात हुए हैं या भ्रूण हानि हुई है;
(तीन) गर्भवती स्त्री, विभव विरुपजनकों, जैसे कि ओषधियों, विकिरणों, संक्रमण या रसायनों से प्रभावित हुई है ;
(चार) गर्भवती स्त्री या उसके पति के कुटुंब में मानसिक मंदता या शारीरिक विरूपिता जैसे कि संस्तम्भता या किसी अन्य आनुवंशिकी रोग का परिवार वृत है;
(पांच) कोई अन्य शर्त जो बोर्ड द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए :
परंतु किसी गर्भवती स्त्री पर पराश्रव्य लेखन करने वाला व्यक्ति क्लिनिक में ऐसी रीति में जो विहित की जाए, उसका पूरा अभिलेख रखेगा और उसमें पाई गई कोई कमी या अशुद्धि या धारा ५ या धारा ६ के उपबंधों का उल्लंघन मानी जाएगी जब तक कि ऐसा पराश्रव्य लेखन करने वाला व्यक्ति उसके विपरीत साबित नहीं कर देता है।
(४) कोई व्यक्ति जिसमें गर्भवती स्त्री का नातेदार या पति सम्मिलित है, खंड (२) में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के सिवाय, उस पर किसी प्रसवपूर्व निदान-तकनीक का उपयोग नहीं कराएगा या उसे प्रोत्साहित नहीं करेगा।
(५) कोई व्यक्ति जिसमें किसी स्त्री का कोई नातेदार या पति सम्मिलित है, उस स्त्री पर या उसके नातेदार या पति पर या दोनों पर किसी लिंग चयन करने वाली तकनीक का प्रयोग नहीं कराएगा या कराने के लिए उन्हें प्रोत्साहित नहीं करेगा।)
———-
१. २००३ के अधिनियम सं०१४ की धारा ७ द्वारा प्रतिस्थापित ।