गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम १९९४
अध्याय ७:
अपराध और शास्तियां :
धारा २२ :
१.(गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व लिंग अवधारणा संबंधी विज्ञापन का प्रतिषेध और उसके उल्लंघन के लिए दंड :
(१) कोई भी व्यक्ति, संगठन, आनुवंशिकी सलाह केंद्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक, जिसके अंतर्गत ऐसा क्लिनिक, प्रयोगशाला या केंद्र भी है, जिसमें अल्टड्ढासाउंड मशीन, इमेजिंग मशीन या स्कैनर या कोई अन्य ऐसी प्रौद्योगिकी है, जो भ्रूण के लिंग का अवधारण करने और लिंग चयन करने में समर्थ है, प्रसवपूर्व लिंग अवधारण या गर्भधारण पूर्व लिंग चयन की सुविधाओं के बारे में, जो ऐसे केन्द्र, प्रयोगशाला, क्लिनिक या किसी अन्य स्थान पर उपलब्ध है, कोई विज्ञापन, किसी भी रूप में, जिसके अंतर्गत इंटरनेट भी है, जारी, प्रकाशित, वितरित या संसूचित नहीं करेगा या जारी, प्रकाशित, वितरित या संसूचित नहीं करवाएगा।
(२) कोई भी व्यक्ति या संगठन, जिसके अंतर्गत आनुवंशिकी सलाह केंद्र, आनुवंशिकी प्रयोगशाला या आनुवंशिकी क्लिनिक भी है, किसी भी प्रकार के साधनों के द्वारा, चाहे वैज्ञानिक हो या अन्यथा, लिंग के प्रसवपूर्व अवधारण या गर्भधारण पूर्व चयन के संबंध में किसी रीति में कोई विज्ञापन जारी, प्रकाशित, वितरित, संसूचित नहीं करेगा या जारी, प्रकाशित, वितरित या संसूचित नहीं करवाएगा।
(३) ऐसा कोई व्यक्ति, जो उपधारा (१) या उपधारा (२) के उपबंधों का उल्लंघन करेगा, ऐसे कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से, जो दस हजार रुपए तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए, विज्ञापन के अंतर्गत कोई सूचना, परिपत्र, लेबल, आवेष्टक या कोई अन्य दस्तावेज है, जिसके अंतर्गत इलैक्टड्ढानिक या मुद्रित रूप में इंटरनेट के या किसी अन्य मीडिया के माध्यम से विज्ञापन भी है तथा इसमें पट्ट विज्ञापन, दिवार-पेंटिंग, संकेत, प्रकाश, ध्वनि, धुंआ या गैस के माध्यम से किया गया कोई दृश्यरूपण भी है।)
———
१. २००३ के अधिनियम सं० १४ की धारा १८ द्वारा प्रतिस्थापित।