JJ act 2015 धारा २० : बालक, जिसने इक्कीस वर्ष की आयु पूरी कर ली है और अभी भी सुरक्षित स्थान में ठहरने की विहित अवधि को पूरा करना है ।

किशोर न्याय अधिनियम २०१५
धारा २० :
बालक, जिसने इक्कीस वर्ष की आयु पूरी कर ली है और अभी भी सुरक्षित स्थान में ठहरने की विहित अवधि को पूरा करना है ।
१) जब विधि का उल्लंघन करने वाला बालक इक्कीस वर्ष की आयु पूरी कर लेता है और अभी भी ठहरने की अवधि पूरी करनी है तो बालक न्यायालय, इस बात का मूल्यांकन करने के लिए कि क्या ऐसे बालक में सुधारात्मक परिवर्तन हुए है और क्या ऐसा बालक समाज का योगदान करने वाला सदस्य हो सकता है, परिवीक्षा अधिकारी या जिला बालक संरक्षण एकक या सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा या अपने स्वयं के द्वारा जैसा अपेक्षित हो, अनुवर्ती कार्रवाई के लिए व्यवस्था करेगा और इस प्रयोजन के लिए, धारा १९ की उपधारा (४) के अधीन सुसंगत विशेषज्ञों के मूल्यांकन के साथ बालक के प्रगति अभिलेख को विचार में लिया जाएगा ।
२) उपधारा (१) के अधीन विनिर्दिष्ट प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात् बालक न्यायालय, –
एक ) ऐसी शर्तों पर, जो ठीक समझी जाएं, जिनके अंतर्गत ठहरने की विहित अवधि के शेष भाग के लिए मानीटरी प्राधिकारी की नियुक्ती भी है, बालक को छोडे जाने का विनिश्चय कर सकेगा;
दो) यह विनिश्चय कर सकेगा कि बालक अपनी शेष अवधि जेल में पूरा करेगा :
परंतु प्रत्येक राज्य सरकार मानीटरी प्राधिकारियों और ऐसी मानीटरी प्रक्रियाओं की, जो विहित की जाएं एक सूची रखेगी ।

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