Ipc धारा ३५४ ग : १.(दृश्यरतिकता (छिप कर देखना) :

भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा ३५४ ग :
१.(दृश्यरतिकता (छिप कर देखना) :
(See section 77 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : दृश्यरतिकता ।
दण्ड :प्रथम दोषसिद्धि के लिए कम से कम एक वर्ष का कारावास, किन्तु जो तीन वर्ष तक का हो सकेगा और जुमाना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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अपराध : दृश्यरतिकता ।
दण्ड :द्वितीय या पश्चात्वर्ती दोषसिद्धि के लिए कम से कम तीन वर्ष तक का कारावास किन्तु जो सात वर्ष तक का हो सकेगा और जुमाना ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :अजमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :कोई मजिस्ट्रेट ।
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ऐसा कोई पुरुष, जो कोई ऐसी स्त्री को, जो उन परिस्थितियों के अधीन जिनमें वह यह प्रत्याशा करती है कि उसे अपराध करने वाला या अपराध करने वाले के कहने पर कोई अन्य व्यक्ती देख नहीं रहा होगा, किसी प्राइवेट (निजी) कृत्य में लगी स्त्री को एकटक देखेगा या उसका चित्र खीचेंगा अथवा उस चित्र को प्रसारित करेगा, प्रथम दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो तीन वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा और द्वितिय अथवा पश्चात्वर्ती किसी दोषसिद्धि पर दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि तीन वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो सात वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से भी दण्डित किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण १ :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए, प्राइवेट (निजी) कृत्य के अंतर्गत ऐसे किसी स्थान में देखने का कार्य किया जाता है, जिसके संबंध में, परिस्थितियों के अधीन, युक्तियुक्त रुप से यह प्रत्याशा की जाती है कि वहां एकांतता होगी और जहां कि पीडिता के जननांगो, नितंबो या वक्षस्थलों को अभिदर्शित किया जाता है या केवल अधोवस्त्र से ढका जाता है अथवा जहां पीडिता किसी शौचघर का प्रयोग कर रही है; या जहां पीडिता ऐसा कोई लैंगिक कृत्य कर रहीं है जो ऐसे प्रकार का नहीं है जो साधारणतया सार्वजनिक तौर पर किया जाता है ।
स्पष्टीकरण २ :
जहां पीडिता चित्रों या किसी अभिनय के चित्र को खीचनें के लिए सम्मति देती है किन्तु अन्य व्यक्तीयों को उन्हे प्रसारित करने की सम्मति नहीं देती है और जहां उस चित्र या कृत्य का प्रसारण किया जाता है वहां ऐसे प्रसारण को इस धारा के अधीन अपराध माना जाएगा ।)
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१. दण्ड विधि संशोधन अधिनियम २०१३ (२०१३ का १३) धारा ७ द्वारा अन्त:स्थापित ।

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