भारतीय दण्ड संहिता १८६०
धारा २१५ :
चोरी की सम्पत्ति आदि के वापस लेने में सहायता करने के लिए उपहार लेना :
(See section 252 of BNS 2023)
अपराध का वर्गीकरण :
अपराध : अपराधी को पकडवाए बिना उस जंगम सम्पत्ति को वापस कराने में सहायता करने के लिए उपहार लेना जिससे कोई व्यक्ति अपराध द्वारा वंचित कर दिया गया है ।
दण्ड :दो वर्ष के लिए कारावास या जर्माना, या दोनों ।
संज्ञेय या असंज्ञेय :संज्ञेय ।
जमानतीय या अजमानतीय :जमानतीय ।
शमनीय या अशमनीय : अशमनीय ।
किस न्यायालय द्वारा विचारणीय है :प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ।
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जो कोई किसी व्यक्ती की, किसी ऐसी जंगम सम्पत्ति के वापर ले लेने में, जिससे इस संहिता के अधीन दण्डनीय किसी अपराध द्वारा वह व्यक्ती वंचित कर दिया गया हो, सहायता करने के बहाने या सहायता करने की बाबत कोई परितोषण लेगा या लेने का करार करेगा या लेने को सहमत होगा, वह जब तक कि अपनी शक्ति में के सब साधनों को अपराधी को पकडवाने के लिए और अपराध के लिए दोषसिद्ध कराने के लिए उपयोग में न लाए, दोनों में से किसी भांति के कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।