Constitution अनुच्छेद ३४४ : राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद् की समिति ।

भारत का संविधान
अनुच्छेद ३४४ :
राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद् की समिति ।
१)राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से पांच वर्ष की समाप्ति पर और पत्पश्चात् ऐसे प्रारंभ से दस वर्ष की समाप्ति पर, आदेश द्वारा, एक आयोग गठित करेगा जो एक अध्यक्ष और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट विभिन्न का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा जिनको राष्ट्रपति नियुक्त करे और आदेश में आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया परिनिश्चित की जाएगी ।
२) आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह राष्ट्रपति को –
क) संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग,
ख) संघ के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर निर्बंधनों,
ग) अनुच्छेद ३४८ में उल्लिखित सभी या किन्हीं प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा,
घ) संघ के किसी एक या अधिक विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए प्रयोग किए जाने वाले अंकों के रूप,
ड) संघ की राजभाषा तथा संघ और किसी राज्य के बीच या एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच पत्रादि की भाषा और उनके प्रयोग के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्देशित किए गए किसी अन्य विषय,
के बारे में सिफारिश करे ।
३) खंड (२) के अधीन अपनी सिफारिशें करने में, आयोग भारत की औद्योगिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक उन्नति का और लोक सेवाओं के संबंध में अहिन्दी भाषी क्षेत्रों के व्यक्तियों के न्यायसंगत दावों और हितों का सम्यक् ध्यान रखेगा ।
४) एक समिति गठित की जाएगी जो तीस सदस्यों से मिलकर बनेगी जिनमें से बीस लोक सभा के सदस्य होंगे और दस राज्य सभा के सदस्य होंगे जो क्रमश : लोक सभा के सदस्यों और राज्य सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पध्दति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे ।
५) समिति का यह कर्तव्य होगा कि वह खंड (१) के अधीन गठित आयोग की सिफारिशों की परिक्षा करे और राष्ट्रपति को उन पर अपनी राय के बारे में प्रतिवेदन दे ।
६) अनुच्छेद ३४३ में किसी बात के होते हुए भी, राष्ट्रपति खंड (५) में निर्दिष्ट प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात् उस संपूर्ण प्रतिवेदन के या उसके किसी भाग के अनुसार निदेश दे सकेगा ।

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