Arms act धारा २१ : कब्जा विधिपूर्ण न रहने पर आयुध आदि का निक्षेप :

आयुध अधिनियम १९५९
धारा २१ :
कब्जा विधिपूर्ण न रहने पर आयुध आदि का निक्षेप :
१) कोई भी व्यक्ति जिसके कब्जे में ऐसे आयुध और गोलाबारुद हों जिनका कब्जा अनुज्ञप्ति की अस्तित्वावधि के अवसान या अनुज्ञप्ति के निलम्बन या प्रतिसंहरण के परिणामस्वरुप या धारा ४ के अधीन अधिसूचना के निकाले जाने से या किसी भी कारण से, विधिपूर्ण न रह गया हो, अनावश्यक विलम्ब के बिना उन्हें या तो निकटतम पुलिस थाने के भारसाधक आफिसर के पास या ऐसी शर्तों के अध्यधीन रहते हुए, जैसी कि विहित की जाएं, किसी अनुज्ञप्त व्यौहारी के पास या जहां कि ऐसा व्यक्ति स्वयं के सशस्त्र बलोंका सदस्य हो वहां किसी युनिट अस्त्रागार में निक्षिप्त करेगा ।
स्पष्टीकरण :
इस उपधारा में युनिट अस्त्रागार के अन्तर्गत भारतीय नौसेना के पोत या स्थापन में का अस्त्रागार आता है ।
२) जहां कि आयुध या गोलाबारुद उपधारा (१) के अधीन निक्षिप्त किया जा चुका है, वहां निक्षेपक या उसकी मृत्यु हो जाने की दशा में उसका विधिक प्रतिनिधि, ऐसी कालावधि के अवसान से पूर्व, जैसी विहित की जाए, किसी समय हकदार होगा कि वह –
(a)क) ऐसी निक्षिप्त किसी भी चीज को इस अधिनियम या अन्य किसी भी तत्समय प्रवृत्त विधि के आधार पर उसे अपने कब्जे में रखने के लिए हकदार हो जाने पर वापिस पाए ; अथवा
(b)ख) ऐसी निक्षिप्त चीज इस अधिनियम या किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त विधि के आधार पर उसे अपने कब्जे में रखने के हकदार या उसे अपने कब्जे में रखने से इस अधिनियम या ऐसी अन्य विधि द्वारा अप्रतिषिद्ध किसी व्यक्ति को विक्रय द्वारा या अन्यथा व्ययनित करे या, व्ययनित करना प्राधिकृत करे और ऐसे किसी व्ययन के आगम प्राप्त करे :
परन्तु इस उपधारा की कोई बात किसी ऐसी चीज की वापसी या व्ययन प्राधिकृत करने वाली नहीं समझी जाएगी जिसका अधिहरण धारा ३२ के अधीन निर्दिष्ट किया गया हो ।
३) निक्षप्त की गई और उपधारा (२) के अधीन उसमें निर्दिष्ट कालावधि के अन्दर वापस न ली गई या व्ययनित न की गई सब चीजें, जिला मजिस्ट्रेट के आदेश से सरकार को समपऱ्हत हो जाएंगी :
परन्तु किसी अनुज्ञप्ति के निलम्बन की दशा में चीज की बाबत जिसके लिए अनुज्ञप्ति है कोई भी ऐसा समपहरण निलम्बन की कालावधि के दौरान आदिष्ट नहीं किया जाएगा ।
४) उपधारा (३) के अधीन आदेश करने से पूर्व जिला मजिस्ट्रेट लिखित सूचना द्वारा जिसकी तामील निक्षपक या उसकी मृत्यु हो जाने की दशा में उसके विधिक प्रतिनिधि पर विहित रीति में की जाएगी, उससे यह अपेक्षा करेगा कि वह सूचना की तामील से तीस दिन के अन्दर हेतुक दर्शित करे कि उस सूचना में विनिर्दिष्ट चीजें क्यों न समपऱ्हत कर ली जाएं ।
५) यथास्थिति, निक्षेपक या उसके विधिक प्रतिनिधि द्वारा दर्शित उस किसी हेतुक पर, यदि कोई हो, विचार करने के पश्चात् मजिस्ट्रेट ऐसा आदेश देगा जैसा वह ठीक समझे ।
६) सरकार उन चीचों को जो उसे समपऱ्हत हो गई हैं या उनके व्ययन के आगमों को निक्षेपक या उसके विधिक प्रतिनिधि को किसी भी समय पूर्णत: या भागत: लौटा सकेगी ।

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