Arms act धारा १७ : अनुज्ञप्तियों में फेरफार, उनका निलम्बन और प्रतिसंहरण :

आयुध अधिनियम १९५९
धारा १७ :
अनुज्ञप्तियों में फेरफार, उनका निलम्बन और प्रतिसंहरण :
१) जिन शर्तों के अध्यधीन अनुज्ञप्ति अनुदत्त की गई है उसमें फेरफार अनुज्ञापन प्राधिकारी उनमें से ऐसी शर्तों को छोडकर कर सकेगा जो विहित की गई है और उस प्रयोजन के लिए लिखित सूचना द्वारा अनुज्ञप्ति के धारक से इतने समय के अन्दर जितना सूचना में विनिर्दिष्ट किया जाए, अनुज्ञप्ति अपने को परिदत्त करने की अपेक्षा कर सकेगा ।
२) अनुज्ञप्ति के धारक के आवेदन पर भी, अनुज्ञप्ति की शर्तों में फेरफार अनुज्ञापन प्राधिकारी उनमें से ऐसी शर्तों को छोडकर कर सकेगा जो कि विहित की गई है ।
३) अनुज्ञापन प्राधिकारी लिखित आदेश द्वारा अनुज्ञप्ति को ऐसी कालावधि के लिए, जैसी वह ठीक समझे, निलम्बित कर सकेगा या अनुज्ञप्ति को प्रतिसंऱ्हत कर सकेगा,-
(a)क) यदि अनुज्ञापन प्राधिकारी का समाधान हो जाए कि अनुज्ञप्ति का धारक, किसी आयुध या गोलाबारुद को अर्जित करने, अपने कब्जे में रखने या वहन करने से इस अधिनियम या किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त विधि द्वारा प्रतिषिद्ध है या विकृत-चित्त का है या इस अधिनियम के अधीन अनुज्ञप्ति के लिए किसी कारण से अयोग्य है ; अथवा
(b)ख) यदि अनुज्ञापन प्राधिकारी अनुज्ञप्ति को निलंबित करना या प्रतिसंऱ्हत करना लोक शान्ति की सुरक्षा के लिए या लोकक्षेम के लिए आवश्यक समझे ; अथवा
(c)ग) यदि अनुज्ञप्ति तात्विक जानकारी दबाकर या उसके लिए आवेदन करने के समय अनुज्ञप्ति के धारक द्वारा या उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई गलत जानकारी के आधारपर अभिप्राप्त की गई थी; अथवा
(d)घ) यदि अनुज्ञप्ति की शर्तों में से किसी का भी उल्लंघन किया गया है, अथवा
(e)ङ) यदि अनुज्ञप्ति का धारक, अनुज्ञप्ति के परिदान की अपेक्षा करने वाली उपधारा (१) के अधीन सूचना का अनुपालन करने में असफल रहा है ।
४) अनुपालन प्राधिकारी, अनुज्ञप्ति का प्रतिसंहरण उसके धारक के आवेदन पर भी कर सकेगा ।
५) जहां कि अनुज्ञापन प्राधिकारी उपधारा (१) के अधीन अनुज्ञप्ति में फेरफार करने वाला आदेश या उपधारा (३) के अधीन अनुज्ञप्ति को निलम्बित करने या प्रतिसंऱ्हत करने वाला आदेश दे, वहां वह इसके लिए कारण लेखन द्वारा अभिलिखित करेगा और उनका संक्षिप्त कथन मांग किए जाने पर अनुज्ञप्ति के धारक को उस दशा के सिवाय देगा, जिसमें अनुज्ञापन प्राधिकारी की किसी मामले में यह राय हो कि ऐसा कथन देना लोकहित में नहीं होगा ।
६) वह प्राधिकारी जिसके अधीनस्थ अनुज्ञापन प्राधिकारी है, लिखित आदेश द्वारा अनुज्ञप्ति को निलम्बित या प्रतिसंऱ्हत उस किसी भी आधार पर कर सकेगा जिस पर कि वह अनुज्ञापन प्राधिकारी द्वारा निलम्बित या प्रतिसंऱ्हत की जा सकती है, और इस धारा के पूर्वगामी उपबंध ऐसे प्राधिकारी द्वारा अनुज्ञप्ति के निलंबन या प्रतिसंहरण क संबंध में यावत्शक्य लागू होंगे ।
७) वह न्यायालय जो किसी अनुज्ञप्ति के धारक को इस अधिनियम के या तद्धीन बनाए गए नियमों के अधीन किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराए, उस अनुज्ञप्ति को निलम्बित या प्रतिसंऱ्हत भी कर सकेगा :
परन्तु यदि दोषसिद्धि अपील में या अन्यथा अपास्त कर दी जाए तो निलम्बन या प्रतिसंहरण शून्य हो जाएगा ।
८) उपधारा (७) के अधीन निलम्बन या प्रतिसंहरण का आदेश, अपील न्यायालय द्वारा या उच्च न्यायालय द्वारा भी, जब कि वह पुनरीक्षण की अपनी शक्तियों का प्रयोग कर रहा हो, किया जा सकेगा ।
९) केन्द्रीय सरकार, शासकीय राजपत्र में आदेश द्वारा, इस अधिनियम के अधीन सब या किन्हीं भी अनुज्ञप्तियों को भारत भर के लिए या उसके किसी भी भाग के लिए निलम्बित या प्रतिसंऱ्हत कर सकेगी या निलम्बित या प्रतिसंऱ्हत करने के लिए किसी भी अनुज्ञापन प्राधिकारी को निदेश दे सकेगी ।
१०) इस धारा के अधीन अनुज्ञप्ति के निलम्बन या प्रतिसंहरण पर उसका धारक उस अनुज्ञप्ति को, उस प्राधिकारी को जिसके द्वारा वह निलम्बित या प्रतिसंऱ्हत की गई है या किसी अन्य प्राधिकारी को जो निलम्बन या प्रतिसंहरण आदेश में इस निमित्त विनिर्दिष्ट हो, अविलम्ब अभ्यर्पित करेगा ।

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