Constitution अनुच्छेद २४३ यथ : अपराध और शास्तियां।

भारत का संविधान
अनुच्छेद २४३ यथ :
अपराध और शास्तियां।
१) किसी राज्य का विधान- मंडल, विधि द्वारा, सहकारी सोसाइटियों से संबंधित अपराधों और ऐसे अपराधों के लिए शास्तियों से संबंधित उपबंध कर सकेगा ।
२)खंड (१) के अधीन किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि में निम्नलिखित कार्य करना या उसका लोप करना अपराध के रूप मे सम्मिलित होगा, अर्थात् :-
क)कोई सहकारी सोसोइटी या उसका कोई अधिकारी या सदस्य जानबूझकर मिथ्या विवरणी बनाता है या मिथ्या जानकारी देता है अथवा कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसी जानकारी नहीं देता है, जो इस जे इस निमित्त राज्य अधिनियम के उपबंधों के अधीन प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा उससे अपेक्षित की गई हो;
ख)कोई व्यक्ति जानबूझकर या किसी युक्तियुक्त कारण के बिना राज्य अधिनियम के उपबंधों के अधीन जारी किए गए किसी समन, अध्यपेक्षा या विधिपूर्ण लिखित आदेश की अवज्ञा करता है ;
ग)कोई नियोजक जो पर्याप्त कारण के बिना उसके द्वारा उसके कर्मचारी से काटी गई रकम का, उस तारीख से, जिसको ऐसी कटौती की गई है, चौदह दिन की अवधि के भीतर सहकारी सोसाइटी को संदाय करने में असफल रहता है ;
घ) ऐसा कोई अधिकारी या अभिरक्षक, जो ऐसी किसी सहकारी सोसाइटी की, जिसका वह अधिकारी या अभिरक्षक है, बहियों, लेखाओं, दस्तावेजों, अभिलेखों, रोकड, प्रतिभूति या अन्य संपत्ति की अभिरक्षा किसी प्राधिकृत व्यक्ति को सौंपने में असफल रहता है ; और
ड) जो कोई बोर्ड के सदस्यों या पदाधिकारियों के निर्वाचन से पहले, उसके दौरान या पश्चात् कोई भ्रष्ट आचरण अपनाता है ।

Leave a Reply