Bnss धारा ३९१ : कुछ न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों के समक्ष किए गए अपराधों का उनके द्वार विचारण न किया जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३९१ : कुछ न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों के समक्ष किए गए अपराधों का उनके द्वार विचारण न किया जाना : धारा ३८३, ३८४, ३८८, और धारा ३८९ में जैसा उपबंधित है उसके सिवाय (उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से भिन्न) दण्ड…

Continue ReadingBnss धारा ३९१ : कुछ न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों के समक्ष किए गए अपराधों का उनके द्वार विचारण न किया जाना :

Bnss धारा ३९० : धारा ३८३, ३८४, ३८८ और धारा ३८९ के अधीन दोषसिद्धियों से अपीलें :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३९० : धारा ३८३, ३८४, ३८८ और धारा ३८९ के अधीन दोषसिद्धियों से अपीलें : १) उच्च न्यायालय से भिन्न किसी न्यायालय द्वारा धारा ३८३, ३८४, ३८८ या धारा ३८९ के अधीन दण्डादिष्ट कोई व्यक्ति, इस संहिता में किसी…

Continue ReadingBnss धारा ३९० : धारा ३८३, ३८४, ३८८ और धारा ३८९ के अधीन दोषसिद्धियों से अपीलें :

Bnss धारा ३८९ : समन के पालन में साक्षी के हाजिर न होने पर उसे दण्डित करने के लिए संक्षिप्त प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३८९ : समन के पालन में साक्षी के हाजिर न होने पर उसे दण्डित करने के लिए संक्षिप्त प्रक्रिया : १) यदि किसी दण्ड न्यायालय के समक्ष हाजिर होने के लिए समन किए जाने पर कोई साक्षी समन के…

Continue ReadingBnss धारा ३८९ : समन के पालन में साक्षी के हाजिर न होने पर उसे दण्डित करने के लिए संक्षिप्त प्रक्रिया :

Bnss धारा ३८८ : उत्तर देने या दस्तावेज पेश करने से इंकार करने वाले व्यक्ती को कारावास या उसकी सुपुर्दगी :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३८८ : उत्तर देने या दस्तावेज पेश करने से इंकार करने वाले व्यक्ती को कारावास या उसकी सुपुर्दगी : यदि दण्ड न्यायालय के समक्ष कोई साक्षी या कोई व्यक्ती, जो किसी दस्तावेज या चीज को पेश करने के लिए…

Continue ReadingBnss धारा ३८८ : उत्तर देने या दस्तावेज पेश करने से इंकार करने वाले व्यक्ती को कारावास या उसकी सुपुर्दगी :

Bnss धारा ३८७ : माफी मांगने पर अपराधी का उन्मोचन :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३८७ : माफी मांगने पर अपराधी का उन्मोचन : जब किसी न्यायालय ने किसी अपराधी को कोई बात, जिसे करने की उससे विधिपूर्वक अपेक्षा की गई थी, करने से इंकार करने या उसे न करने के लिए या साशय…

Continue ReadingBnss धारा ३८७ : माफी मांगने पर अपराधी का उन्मोचन :

Bnss धारा ३८६ : रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार कब सिविल न्यायालय समझा जाएगा :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३८६ : रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार कब सिविल न्यायालय समझा जाएगा : जब राज्य सरकार ऐसा निदेश दे तब कोई भी रजिस्ट्रार या कोई भी उप-रजिस्ट्रार, जो रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, १९०८ (१९०८ का १६) के अधीन नियुक्त है, धारा ३८४ और…

Continue ReadingBnss धारा ३८६ : रजिस्ट्रार या उप-रजिस्ट्रार कब सिविल न्यायालय समझा जाएगा :

Bnss धारा ३८५ : जहाँ न्यायालय का विचार है कि मामले में धारा ३८४ के अधीन कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए वहाँ प्रकिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३८५ : जहाँ न्यायालय का विचार है कि मामले में धारा ३८४ के अधीन कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए वहाँ प्रकिया : १) यदि किसी मामले में न्यायालय का यह विचार है कि धारा ३८४ में निर्दिष्ट और उसकी…

Continue ReadingBnss धारा ३८५ : जहाँ न्यायालय का विचार है कि मामले में धारा ३८४ के अधीन कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए वहाँ प्रकिया :

Bnss धारा ३८४ : अवमान (अपमान / तौहिन ) के कुछ मामलों में प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३८४ : अवमान (अपमान / तौहिन ) के कुछ मामलों में प्रक्रिया : १) जब कोई ऐसा अपराध, जैसा भारतीय न्याय संहिता २०२३ की धारा २०९, धारा २११, धारा २१२, धारा २१३ या धारा २६५ में वर्णित है, किसी…

Continue ReadingBnss धारा ३८४ : अवमान (अपमान / तौहिन ) के कुछ मामलों में प्रक्रिया :

Bnss धारा ३८३ : मिथ्या साक्ष्य देने पर विचारण के लिए संक्षिप्त प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३८३ : मिथ्या साक्ष्य देने पर विचारण के लिए संक्षिप्त प्रक्रिया : १) यदि किसी न्यायिक कार्यवाही को निपटाते हुए निर्णय या अंतिम आदेश देते समय कोई सेशन न्यायालय या प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट यह राय व्यक्त करता है कि…

Continue ReadingBnss धारा ३८३ : मिथ्या साक्ष्य देने पर विचारण के लिए संक्षिप्त प्रक्रिया :

Bnss धारा ३८२ : जहाँ मजिस्ट्रेट संज्ञान करे वहाँ प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३८२ : जहाँ मजिस्ट्रेट संज्ञान करे वहाँ प्रक्रिया : १) वह मजिस्ट्रेट, जिससे कोई परिवाद धारा ३७९ या धारा ३८० के अधीन किया जाता है, अध्याय १६ में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ तक हो सके मामले…

Continue ReadingBnss धारा ३८२ : जहाँ मजिस्ट्रेट संज्ञान करे वहाँ प्रक्रिया :

Bnss धारा ३८१ : खर्चे का आदेश देने कि शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३८१ : खर्चे का आदेश देने कि शक्ति : धारा ३७९ के अधीन परिवाद फाइल करने के लिए किए गए किसी आवेदन या धारा ३८० के अधीन अपील के संबंध में कार्यवाही करने वाले किसी भी न्यायालय को खर्चे…

Continue ReadingBnss धारा ३८१ : खर्चे का आदेश देने कि शक्ति :

Bnss धारा ३८० : अपील :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३८० : अपील : १) कोई व्यक्ति, जिसके आवेदन पर उच्च न्यायालय से भिन्न किसी न्यायालय ने धारा ३७९ की उपधारा (१) या उपधारा (२) के अधीन परिवाद करने से इंकार कर दिया है या जिसके विरुद्ध ऐसा परिवाद…

Continue ReadingBnss धारा ३८० : अपील :

Bnss धारा ३७९ : धारा २१५ में वर्णित मामलों में प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ अध्याय २८ : न्याय-प्रशासन पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के बारे में उपबंध : धारा ३७९ : धारा २१५ में वर्णित मामलों में प्रक्रिया : जब किसी न्यायालय की, उससे इस निमित्त किए गए आवेदन पर या अन्यथा, यह राय…

Continue ReadingBnss धारा ३७९ : धारा २१५ में वर्णित मामलों में प्रक्रिया :

Bnss धारा ३७८ : नातेदार या मित्र की देख-रेख के लिए चित्त-विकृत व्यक्ति का सौपा जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७८ : नातेदार या मित्र की देख-रेख के लिए चित्त-विकृत व्यक्ति का सौपा जाना : १) जब कभी धारा ३६९ या ३७४ के उपबंधों के अधीन निरुद्ध किसी व्यक्ति का कोई नातेदार या मित्र यह चाहता है कि वह…

Continue ReadingBnss धारा ३७८ : नातेदार या मित्र की देख-रेख के लिए चित्त-विकृत व्यक्ति का सौपा जाना :

Bnss धारा ३७७ : जहाँ निरुद्ध विकृत चित्त व्यक्ति छोडे जाने के योग्य घोषित कर दिया जाता है, वहाँ प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७७ : जहाँ निरुद्ध विकृत चित्त व्यक्ति छोडे जाने के योग्य घोषित कर दिया जाता है, वहाँ प्रक्रिया : १) यदि कोई व्यक्ति धारा ३६९ की उपधारा (२) या धारा ३७४ के उपबंधों के अधीन निरुद्ध है और ऐसा…

Continue ReadingBnss धारा ३७७ : जहाँ निरुद्ध विकृत चित्त व्यक्ति छोडे जाने के योग्य घोषित कर दिया जाता है, वहाँ प्रक्रिया :

Bnss धारा ३७६ : जहाँ यह रिपोर्ट की जाती है कि विकृत चित्त बंदी अपनी प्रतिरक्षा करने में समर्थ है वहाँ प्रक्रिया :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७६ : जहाँ यह रिपोर्ट की जाती है कि विकृत चित्त बंदी अपनी प्रतिरक्षा करने में समर्थ है वहाँ प्रक्रिया : यदि कोई व्यक्ती धारा ३६९ की उपधारा (२) के उपबंधों के अधीन निरुद्ध किया जाता है और, जेल…

Continue ReadingBnss धारा ३७६ : जहाँ यह रिपोर्ट की जाती है कि विकृत चित्त बंदी अपनी प्रतिरक्षा करने में समर्थ है वहाँ प्रक्रिया :

Bnss धारा ३७५ : भारसाधक अधिकारी को कृत्यों को निर्वहन करने के लिए सशक्त करने की राज्य सरकार की शक्ति :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७५ : भारसाधक अधिकारी को कृत्यों को निर्वहन करने के लिए सशक्त करने की राज्य सरकार की शक्ति : राज्य सरकार उस जेल के भारसाधक अधिकारी को, जिसमें कोई व्यक्ति धारा ३६९ या धारा ३७४ के उपबंधों के अधीन…

Continue ReadingBnss धारा ३७५ : भारसाधक अधिकारी को कृत्यों को निर्वहन करने के लिए सशक्त करने की राज्य सरकार की शक्ति :

Bnss धारा ३७४ : चित्त-विकृति के आधार पर दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध किया जाना :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७४ : चित्त-विकृति के आधार पर दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध किया जाना : १) जब कभी निष्कर्ष में यह कथित है क अभियुक्त व्यक्ति ने अभिकथित कार्य किया है तब वह मजिस्ट्रेट या न्यायालय,…

Continue ReadingBnss धारा ३७४ : चित्त-विकृति के आधार पर दोषमुक्त किए गए व्यक्ति का सुरक्षित अभिरक्षा में निरुद्ध किया जाना :

Bnss धारा ३७३ : चित्त-विकृति के आधार पर दोषमुक्ति का निर्णय :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७३ : चित्त-विकृति के आधार पर दोषमुक्ति का निर्णय : जब कभी कोई व्यक्ति इस आधार पर दोषमुक्त किया जाता है कि उस समय जब यह अभिकथित है उसने अपराध किया वह चित्त-विकृति के कारण उस कार्य का स्वरुप,…

Continue ReadingBnss धारा ३७३ : चित्त-विकृति के आधार पर दोषमुक्ति का निर्णय :

Bnss धारा ३७२ : जब यह प्रतीत हो कि अभियुक्त स्वस्थचित्त रहा है :

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता २०२३ धारा ३७२ : जब यह प्रतीत हो कि अभियुक्त स्वस्थचित्त रहा है : जब अभियुक्त जाँच या विचारण के समय स्वस्थचित्त प्रतीत होता है और मजिस्ट्रेट का अपने समक्ष दिए गए साक्ष्य से समाधान हो जाता है कि यह विश्वास…

Continue ReadingBnss धारा ३७२ : जब यह प्रतीत हो कि अभियुक्त स्वस्थचित्त रहा है :