Rti act 2005 धारा ८ : सूचना के प्रकट किए जाने से छूट :

सूचना का अधिकार अधिनियम २००५
धारा ८ :
सूचना के प्रकट किए जाने से छूट :
१) इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, व्यक्ति को निम्नलिखित सूचना देने की बाध्यता नहीं होगी –
(a)क) सूचना, जिसके प्रकटन से भारत की प्रभुता और अखण्डता, राज्य की सुरक्षा, रणनीति, वैज्ञानिक या आर्थिक हित, विदेश से संबंध पर प्रतिकूल प्रभाव पडता हो या किसी अपराध को करने का उद्दीपन होता हो;
(b)ख) सूचना, जिसके प्रकाशन को किसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा अभिव्यक्त रुप से निषिद्ध किया गया है या जिसके प्रकटन से न्यायालय का अवमान होता है;
(c)ग) सूचना, जिसके प्रकटन से संसद् या किसी राज्य के विधान-मंडल के विशेषाधिकार का भंग कारित होगा;
(d)घ) सूचना, जिसमें वाणिज्यिक विश्वास, व्यापार गोपनीयता या बौद्धिक संपदा सम्मिलित है, जिसके प्रकटन से किसी पर व्यक्ति की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होता है, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है कि ऐसी सूचना के प्रकटन से विस्तृत लोक हित का समर्थन होता है ;
(e)ङ) किसी व्यक्ति को उसकी वैश्वासिक नातेदारी में उपलब्ध सूचना, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है कि ऐसी सूचना के प्रकटन से विस्तृत लोक हित का समर्थन होता है;
(f)च) किसी विदेशी सरकार से विश्वास में प्राप्त सूचना ;
(g)छ) सूचना जिसको प्रकट करना किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डालेगा या जो विधि प्रवर्तन या सुरक्षा प्रयोजनों के लिए विश्वास में दी गई किसी सूचना या सहायता के स्त्रोत की पहचान करेगा;
(h)ज) सूचना, जिसमें अपराधियों के अन्वेषण, पकडे जाने या अभियोजन की क्रिया में अडचन पडेगी;
(i)झ) मंत्रिमंडल के कागजपत्र, जिसमें मंत्रिपरिषद्, सचिवों और अन्य अधिकारियों के विचार-विमर्श के अभिलेख सम्मिलित है :
परन्तु यह कि मंत्रिपरिषद् के विनिश्चय, उनके कारण तथा वह सामग्री, जिसके आधार पर विनिश्चय किए गए थे, विनिश्चय किए जाने और विषय के पूरा या समाप्त होने के पश्चात् जनता को उपलब्ध कराए जाएंगे :
परन्तु यह और कि वे विषय जो इस धारा में विनिर्दिष्ट छूटों के अंतर्गत आते है, प्रकट नहीं किए जाएंगे ;
(j)ञ) सूचना, जो व्यक्तिगत सूचना से संबंधित है, जिसका प्रकटन किसी लोक क्रियाकलाप या हित से संबंध नही रखता है या जिससे व्यष्टि की एकांतता पर अनावश्यक अतिक्रमण होगा, जब तक कि, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या अपील प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता है कि ऐसी सूचना का प्रकटन विस्तृत लोक हित में न्यायोचित है :
परन्तु ऐसी सूचना के लिए, जिसको, यथास्थिति, संसद् या किसी राज्य विधान-मंडल को देने से इंकार नहीं किया जा सकता है, किसी व्यक्ति को इंकार नहीं किया जा सकेगा ।
२) शासकीय गुप्त बात अधिनियम, १९२३ (१९२३ का १९) में, उपधारा (१) के अनुसार अनुज्ञेय किसी छूट में किसी बात के होते हुए भी, किसी लोक प्राधिकारी को सूचना तक पहुंच अनुज्ञात की जा सकेगी, यदि सूचना के प्रकटन में लोक हित, संरक्षित हितों के नुकसान से अधिक है ।
३) उपधारा (१) के खण्ड (क), खण्ड (ग) और खण्ड (झ) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी ऐसी घटना, वृत्तांत या विषय से संबंधित कोई सूचना, जो उस तारीख से, जिसको धारा ६ के अधीन कोई अनुरोध किया जाता है, बीस वर्ष पूर्व घटित हुई थी या हुआ था, उस धारा के अधीन अनुरोध करने वाले किसी व्यक्ति को उपलब्ध कराई जाएगी :
परन्तु यह कि जहां उस तारीख के बारे में, जिससे बीस वर्ष की उक्त अवधि को संगणित किया जाता है, कोई प्रश्न उद्भूत होता है, वहां इस अधिनियम में उसके लिए उपबंधित प्रायिक अपीलों के अधीन रहते हुए केन्द्रीय सरकार का विनिश्चय अंतिम होगा ।

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