घरेलू हिंसा अधिनियम २००५
धारा ९ :
संरक्षण अधिकारियों के कर्तव्य और कृत्य :
१) संरक्षण अधिकारी के निम्नलिखित कर्तव्य होंगे –
(a)क) किसी मजिस्ट्रेट को इस अधिनियम के अधीन उसके कृत्यों के निर्वहन में सहायता करना;
(b)ख) किसी घरेलू हिंसा की शिकायत की प्राप्ति पर, किसी मजिस्ट्रेट को, ऐसे प्ररुप और रीति में जो विहित की जाए, घरेलू हिंसा की रिपोर्ट करना और उस पुलिस थाने के, जिसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमा के भीतर, घरेलू हिंसा का होना अभिकथित किया गया है, भारसाधक पुलिस अधिकारी को और उस क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं को, उस रिपोर्ट की प्रतियां अगे्रषित करना;
(c)ग) किसी मजिस्ट्रेट को यदि व्यथित व्यक्ति किसी संरक्षण आदेश के जारी करने के लिए अनुतोष का दावा करने की वांछा करता हो, तो ऐसे प्ररुप और ऐसी रीति में जो विहित की जाएं, आवेदन करना;
(d)घ) यह सुनिश्चित करना कि किसी व्यथित व्यक्ति को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम १९८७ (१९८७ का ३९) के अधीन विधिक सहायता उपलब्ध कराई गई है और उस विहित प्ररुप को, जिसमें शिकायत की जानी है, मुक्त उपलब्ध कराना;
(e)ङ) मजिस्ट्रेय की अधिकारिता वाले स्थानीय क्षेत्र में ऐसे सभी सेवा प्रदाताओं की, जो विधिक सहायता या परामर्श आश्रय गृह और चिकित्सीय सुविधाएं उलब्ध कराते है, एक सूची बनाए रखना;
(f)च) यदि व्यथित व्यक्ति ऐसी अपेक्षा करता है तो कोई सुरक्षित आश्रय गृह का उपलब्ध कराना और किसी व्यक्ति को आश्रय गृह में सौंपते हुए, अपनी रिपोर्ट की एक प्रति पुलिस थाने को और उस क्षेत्र में जहां वह आश्रय गृह अवस्थित है, अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को अग्रेषित करना;
(g)छ) व्यथित व्यक्ति को शारीरिक क्षतियां हुई है तो उसका चिकित्सीय परीक्षण कराना, और उस क्षेत्र में, जहां घरेलू हिंसा का होना अभिकथित किया गया है, पुलिस थाने को और अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को उस चिकित्सीय रिपोर्ट की एक प्रति अग्रेषित करना;
(h)ज) यह सुनिश्चित करना कि धारा २० के अधीन धनीय अनुतोष के लिए आदेश का, दंड प्रक्रिया संहिता १९७३ (१९७४ का २) के अधीन विहित प्रक्रिया के अनुसार अनुपालन और निष्पादन हो गया है;
(i)झ) ऐसे अन्य कर्तव्यों का, जो विहित किए जाएं, पालन करना ।
२) संरक्षण अधिकारी, मजिस्ट्रेट के नियंत्रण और पर्यवेक्षण के अधीन होगा और वह, इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन मजिस्ट्रेट और सरकार द्वारा उस पर अधिरोपित कर्तव्यों का पालन करेगा ।