घरेलू हिंसा अधिनियम २००५
धारा २० :
धनीय अनुतोष :
१) धारा १२ की उपधारा (१) के अधीन किसी आवेदन का निपटारा करते समय, मजिस्ट्रेट, घरेल हिंसा के परिणामस्वरूप व्यथित व्यक्ति और व्यथित व्यक्ति की किसी संतान द्वारा उपगत व्यय और सहन की गई हानियों की पूर्ति के लिए धनिय अनुतोष का संदाय करने के लिए प्रत्यर्थी को निदेश दे सकेगा और ऐसे अनुतोष में निम्नलिखित सम्मिलित हो सकेंगे किन्तु वह निम्नलिखित तक की सीमित नहीं होगा-
(a)(क) उपार्जनों की हानि;
(b)(ख) चिकित्सीय व्ययों;
(c)(ग) व्यथित व्यक्ति के नियंत्रण में से किसी संपत्ति के नाश, नुकसानी या हटाए जाने के कारण हुई हानि; और
(d)(घ) व्यथित व्यक्ति के साथ-साथ उसकी संतान, यदि कोई हों, के लिए भरण-पोषण, जिसमें दंड प्रक्रिया संहिता १९७३ (१९७४ का २) की धारा १२५ या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन कोई आदेश या भरण-पोषण के आदेश के अतिरिक्त कोई आदेश सम्मिलित है।
(२) इस धारा के अधीन अनुदत्त धनिय अनुतोष, पर्याप्त, उचित और युक्तियुक्त होगा तथा उस जीवनस्तर से, जिसका व्यथित व्यक्ति अभ्यस्त है, संगत होगा।
(३) मजिस्ट्रेट को, जैसा मामले की प्रकृति और परिस्थितियां, अपेक्षा करें, भरण-पोषण के एक समुचित एकमुश्त संदाय या मासिक संदाय का आदेश देने की शक्ति होगी।
(४) मजिस्ट्रेट, आवेदन के पक्षकारों को और पुलिस थाने के भारसाधक को, जिसकी स्थानीय सीमाओं की अधिकारिता में प्रत्यर्थी निवास करता है, उपधारा (१) के अधीन दिए गए धनीय अनुतोष के आदेश की एक प्रति भेजेगा।
(५) प्रत्यर्थी, उपधारा (१) के अधीन आदेश में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर व्यथित व्यक्ति को अनुदत्त धनीय अनुतोष का संदाय करेगा।
(६) उपधारा (१) के अधीन आदेश के निबंधनों में संदाय करने के लिए प्रत्यर्थी की ओर से असफलता पर मजिस्ट्रेट, प्रत्यर्थी के नियोजक या ऋणी को, व्यथित व्यक्ति को प्रत्यक्षत: संदाय करने या मजदूरी या वेतन का एक भाग न्यायालय में जमा करने या शोध्य ऋण या प्रत्यर्थी के खाते में शोध्य या उद्भूत ऋण को, जो प्रत्यर्थी द्वारा संदेय धनीय अनुतोष में समायोजित कर ली जाएगी, जमा करने का निदेश दे सकेगा।