Posh act 2013
अध्याय २ :
आंतरिक परिवाद समितियों का गठन :
धारा ४ :
आंतरिक परिवाद समिति का गठन :
१) किसी कार्यस्थल का प्रत्येक नियोजक, लिखित आदेश द्वारा, आंतरिक परिवाद समिति नामक एक समिति का गठन करेगा :
परंतु जहां कार्यस्थल या प्रशासनिक यूनिटें भिन्न – भिन्न स्थानों या खंडीय या उपखंडीय स्थलों पर स्थित हैं, वहां आंतरिक समिति सभी प्रशासनिक यूनिटों या कार्यालयों में गठित की जाएंगी।
२) आंतरिक समिति नियोजक द्वारा नामनिर्देशित किए जाने वाले निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनेगी, अर्थात्:-
(a)क) एक पीठासीन अधिकारी, जो कर्मचारियों में से कार्यस्थल पर वरिष्ठ स्तर की नियोजित महिला होगी :
परंतु किसी वरिष्ठ स्तर की महिला कर्मचारी के उपलब्ध न होने की दशा में, पीठासीन अधिकारी उपधारा (१) में निर्दिष्ट कार्यस्थल के अन्य कार्यालयों या प्रशासनिक यूनिटों से नामनिर्देशित किया जाएगा :
परंतु यह और कि कार्यस्थल के ऐसे अन्य कार्यालयों या प्रशासनिक यूनिटों में वरिष्ठ स्तर की महिला कर्मचारी न होने की दशा में, पीठासीन अधिकारी उसी नियोजक के किसी अन्य कार्यस्थल या अन्य विभाग या संगठन से नामनिर्देशित किया जाएगा।
(b)ख) कर्मचारियों में से दो से अन्यून ऐसे सदस्य, जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति अधिमानी रूप से प्रतिबद्ध हैं या जिनके पास समाज सुधार के कार्य में अनुभव हैं या विधिक ज्ञान है;
(c)ग) गैर-सरकारी संगठनो या संगमों से ऐसा एक सदस्य, जो महिलाओं की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध है या कोई व्यक्ति जो लैंगिक उत्पीडन से संबंधित विवाद्यकों से सुपरिचित हो :
परंतु इस प्रकार नामनिर्देशित कुल सदस्यों में कम से कम आधे सदस्य महिलाएं होंगी।
३) आंतरिक समिति का पीठासीन अधिकारी और प्रत्येक सदस्य अपने नामनिर्देशन की तारीख से तीन वर्ष से अनधिक की ऐसी अवधि के लिए पदधारण करेगा, जो नियोजक द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए।
४) गैर-सरकारी संगठनों या संगमों में से नियुक्त सदस्य को, आंतरिक समिति की कार्यवाहियों के आयोजन के लिए नियोजक द्वारा ऐसी फीस या भत्ते संदत्त किये जाएंगे, जो विहित किए जाएं।
५) जहां आंतरिक समिति का पीठासीन अधिकारी या कोई सदस्य,-
(a)क) धारा १६ के उपबंधों का पीठासीन अधिकारी या कोई सदस्य,-
(b)ख) किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध किया जाता है या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन किसी अपराध में उसके विरूद्ध जांच लंबित है; या
(c)ग) वह अनुशासनात्मक कार्यवाहियों में दोषी पाया जाता है या उसके विरूद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित है;
(d)घ) उसने अपनी हैसियत का इस प्रकार दुरूपयोग किया है, जिससे उसका पद पर बने रहना लोक हित के प्रतिकूल हो गया है,
वहां, यथास्थिति, ऐसे पीठासीन अधिकारी या सदस्य को समिति से हटा दिया जाएगा और इस प्रकार सृजित रिक्ति या किसी अन्य आकस्मिक रिक्ति को इस धारा के उपबंधों के अनुसार नए नामनिर्देशन द्वारा भरा जाएगा।
