लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम २०१२
धारा २ :
व्याख्या :
१) इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
क) गुरूतर प्रवेशन लैंगिक हमला का वही अर्थ है जो धारा ५ में है;
ख) गुरूतर लैंगिक हमला का वही अर्थ है जो धारा ९ में है;
ग) सशस्त्र बल या सुरक्षा बल से संघ के सशस्त्र बल या अनुसूची में यथाविनिर्दिष्ट सुरक्षा बल या पुलिस बल अभिप्रेत है;
घ) बालक से ऐसा कोई व्यक्ति अभिप्रेत है जिसकी आयु अठराह वर्ष से कम है;
१.(घक) बालक संबंधी अश्लील साहित्य से किसी बालक को सम्मिलित करते हुए लैंगिक संबंध बनाने के आचरण का कोइ भी दृश्य चित्रण अभिप्रेत है, जिसके अंतर्गत फोटो, वीडियो, डिजिटल या कम्प्यूटर जनित ऐसी आकृति, जो वास्तविक बालक होने जैसी लगे और सृजित, रुपांतरित या परिवर्तित किन्तु बालक का चित्र प्रतीत होने वाली आकृति भी है 😉
ङ) घरेलू संबंध का वह अर्थ होगा जो घरेलू qहसा से महिला संरक्षण अधिनियम, २००५ की धारा २ के खण्ड (च) में है; (२००५ का ४३)
च) प्रवेशन लैंगिक हमला का वही अर्थ है जो धारा ३ में है;
छ) विहित से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
ज) धार्मिक संस्था का वह अर्थ होगा जो धार्मिक संस्था (दुरूपयोग निवारण) अधिनियम, १९८८ में है; (१९८८ का ४१)
झ) लैंगिक हमला का वही अर्थ है जो धारा ७ में है;
त्र) लैंगिक उत्पीडन का वही अर्थ है जो धारा ११ में है;
ट) साझी गृहस्थी से ऐसी गृहस्ती अभिप्रेत है जहां अपराध से आरोपित व्यक्ति, बालक के साथ घरेलू नातेदारी में रहता है या किसी समय पर रह चुका है;
ठ) विशेष न्यायालय से धारा २८ के अधीन उस रूप में अभिहित कोई न्यायालय अभिप्रेत है;
ड) विशेष लोक अभियोजक से धारा ३२ के अधीन नियुक्त कोई अभियोजक अभिप्रेत है।
२) उन शब्दों और पदों के, जो इसमें प्रयुक्त हैं, और परिभाषित नहीं है किन्तु भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, २०१५ (२०१६ का २)में परिभाषित हैं, वही अर्थ होंगे जो उक्त संहिताओं या अधिनियमों में हैं। (१८६० का ४५, १९७४ का २, २००० का ५६, २००० का २१)।
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१. सन २०१९ का २५ धारा २ द्वारा अन्तस्थापित ।
२. सन २०१९ का २५ धारा २ द्वारा किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, २००० इन शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।