Pocso act 2012 धारा १ : संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ :

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम २०१२
(२०१२ का अधिनियम संख्यांक ३२)
प्रस्तावना :
अध्याय १ :
प्रारंभिक :
धारा १ :
संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ :
लैंगिक हमला, लैंगिक उत्पीडन और अश्लील साहित्य के अपराधों से बालकों का संरक्षण करने और ऐसे अपराधों का विचारण करने के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना तथा उनसे संबंधित या आनुषंगिक विषयों के लिए उपबंध करने के लिए अधिनियमय।
संविधान के अनुच्छेद १५ का खंड (३), अन्य बातों के साथ राज्य को बालकों के लिए विशेष उपबंध करने के लिए सशक्त करता है;
संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा अंगीकृत बालकों के अधिकारों से संबंधित अभिसमय को, जो बालक के सर्वोत्तम हितों को सुरक्षित करने के लिए सभी राज्य पक्षकारों द्वारा पालन किए जाने वाले मानकों को विहित करता है, भारत सरकार ने तारीख ११ दिसम्बर, १९९२ को अंगीकृत किया है;
बालक के उचित विकास के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उसकी निजता और गोपनीयता के अधिकार का सभी प्रकार से तथा बालकों को अंतर्वलित करने वाली न्यायिक प्रक्रिया के सभी प्रक्रर्मो के माध्यम से संरक्षित और सम्मानित किया जाए;
यह अनिवार्य है कि विधि ऐसी रीति से प्रवर्तित हो कि बालक के अच्छे शारीरिक, भावात्मक, बौध्दिक और सामाजिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक प्रक्रम परं बालक के सर्वोत्तम हित और कल्याण पर सर्वोपरि महत्त्व के रूप में ध्यान दिया जाए;
बालक के अधिकारों से संबंधित अभिसमय के राज्य पक्षकारों से निम्नलिखित का निवारण करने के लिए सभी समुचित राष्ट्रीय, द्विपक्षीय या बहुपक्षीय उपाय करना अपेक्षित है,-
क) किसी विधिविरूद्द लैंगिक क्रियाकलाप में लगाने के लिए किसी बालक को उत्प्रेरित या प्रपी‹डन करना;
ख) वेश्यावृत्ति या अन्य विधिविरूद्ध लैंगिक व्यवसायों में बालकों का शोषणात्मक उपयोग करना;
ग) अश्लील गतिविधियों और सामग्रियों में बालकों का शोषणात्मक उपयोग करना;
बालकों के लैंगिक शोषण और लैंगिक दुरूपयोग जघन्य अपराध हैं, और उन पर प्रभावी रूप से कार्रवाई करने की आवश्यकता है। भारत गणराज्य के तिरसठवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :-
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१) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, २०१२ है।
२) इसका विस्तार १.(***) जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत पर है।
३) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे।
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१. २०१९ के अधिनियम सं० ३४ की धारा ९५ और अनुसूची ९५ द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय का लोप किया गया ।
२. १४ नवंबर, २०१२, अधिसूचना संख्या का.आ. २७०५ (ई), दिनांक ९ नवंबर, २०१२, देखें भारत का राजपत्र असाधारण, भाग २, खंड ३(दो)।

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