लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम २०१२
अध्याय ५ :
मामलों की रिपोर्ट करने के लिए प्रक्रिया :
धारा १९ :
अपराधों की रिपोर्ट करना।
१) दंड प्रक्रिया संहिता, १९७३ में किसी बात के होते हुए भी कोई व्यक्ति (जिसके अंतर्गत बालक भी है) जिसकी यह आशंका है कि इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किए जाने की संभावना है या यह जानकारी रखता है कि ऐसा कोई अपराध किया गया है, वह निम्नलिखित को ऐसी जानकारी उपलब्ध कराएगा (१९७४ का २):-
क) विशेष किशोर पुलिस यूनिट; या
ख) स्थानीय पुलिस।
२) उपधारा (१) के अधीन दी गई प्रत्येक रिपोर्ट में –
क) एक प्रविष्टि संख्या अंकित होगी और लेखबद्ध की जाएगी;
ख) सूचना देने वाले को पढकर सुनाई जाएगी;
ग) पुलिस यूनिट द्वारा रखी जाने वाली पुस्तिका में प्रविष्ट की जाएगी।
३) जहां उपधारा (१) के अधीन रिपोर्ट बालक द्वारा दी गई है, उसे उपधारा (२) के अधीन सरल भाषा में अभिलिखित किया जाएगा जिससे बालक अभिलिखित की जा रही अंतर्वस्तुओं को समझ सके।
४) यदि बालक द्वारा नहीं समझी जाने वाली भाषा में अंतर्वस्तु अभिलिखित की जा रही है या बालक यदि वह उसको समझने में असङ्कल रहता है तो कोई अनुवादक या कोई दुभाषिया जो ऐसी अर्हताएं, अनुभव रखता हो और ऐसी ङ्कीस के संदाय पर जो विहित की जाए, जब कभी आवश्यक समझा जाए, उपलब्ध कराया जाएगा।
५) जहां विशेष किशोर पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस का यह समाधान हो जाता है कि उस बालक को, जिसके विरूद्ध कोई अपराध किया गया है, देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता है तब रिपोर्ट के चौबीस घंटे के भीतर कारणों को लेखबद्ध करने के पश्चात् उसको यथाविहित ऐसी देखरेख और संरक्षण में (जिसके अंतर्गत बालक को संरक्षण गृह या निकटतम अस्पताल में भर्ती किया जाना भी है) रखने की तुरन्त व्यवस्था करेगी।
६) विशेष किशोर पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस अनावश्यक विलंब के बिना किन्तु चौबीस घंटे की अवधि के भीतर मामले को बालक कल्याण समिति और विशेष न्यायालय या जहां कोई विशेष न्यायालय पदाभिहित नहीं किया गया है वहां सेशन न्यायालय की रिपोर्ट करेगी, जिसके अंतर्गत बालक की देखभाल और संरक्षण के लिए आवश्यकता और इस संबंध में किए गए उपाय भी हैं।
७) उपधारा (१) के प्रयोजन के लिए सद्भावपूर्वक दी गई जानकारी के लिए किसी व्यक्ति द्वारा सिविल या दांडिक कोई दायित्व उपगत नहीं होगा।