गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम १९९४
अध्याय ४ :
केन्द्रीय पर्यवेक्षण बोर्ड :
धारा ७ :
केन्द्रीय पर्यवेक्षण बोर्ड का गठन :
(१) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के अधीन बोर्ड को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग और कृत्यों का पालन करने के लिए एक बोर्ड का, जो केन्द्रीय पर्यवेक्षण बोर्ड के नाम से ज्ञात होगा, गठन करेगी।
(२) बोर्ड निम्नलिखित से मिलकर बनेगा, अर्थात :-
(a)(क) परिवार कल्याण मंत्रालय या विभाग का भारसाधक मंत्री, जो पदेन अध्यक्ष होगा;
(b)(ख) भारत सरकार का सचिव जो परिवार कल्याण विभाग का भारसाधक है, पदेन उपाध्यक्ष होगा;
(c)१.(ग) केंद्रीय सरकार द्वारा महिला और बाल विकास, विधि और न्याय मंत्रालय के विधि कार्य विभाग या विधायी विभाग तथा आयुर्विज्ञान और होम्योपैथी की भारतीय पद्धति के भारसाधक केन्द्रीय सरकार के मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व करने के लिए, नियुक्त किए गए तीन पदेन सदस्य;)
(d)(घ) केन्द्रीय सरकार का स्वास्थ सेवा महानिदेशक, पदेन :
(e)(ङ) दस सदस्य, जो निम्नलिखित में से दो-दो केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किए जाएंगे –
(एक) विख्यात चिकित्सा आनुवंशिकीविज्ञ;
१.(दो) विख्यात स्त्री रोग विज्ञानी और प्रसूति रोग विज्ञानी या स्त्री रोग या प्रसूति तंत्र का विशेषज्ञ;)
(तीन) विख्यात बाल चिकित्सा विज्ञानी ;
(चार) विख्यात समाज विज्ञानी ; और
(पांच) महिला कल्याण संगठनों के प्रतिनिधि ;
(f)(च) तीन महिला संसद् सदस्य, जिनमें से दो लोक सभा द्वारा और एक राज्य सभा द्वारा निर्वाचित की जाएंगी ;
(g)(छ) चार-सदस्य, जो राज्यों और संघ राज्यक्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए दो वर्णानुक्रम में और दो उलटे वर्णानुक्रम में केन्द्रीय सरकार द्वारा चक्रानुक्रम से नियुक्त किए जाएंगे:
परन्तु इस खंड के अधीन कोई नियुक्ति, यथास्थिति, राज्य सरकार या संघ राज्यक्षेत्र की सरकार की सिफारिश पर ही की जाएगी, अन्यथा नहीं;
(h)(ज) केन्द्रीय सरकार के संयुक्त सचिव की पंक्ति से अनिम्न पंक्ति का या उसके समतुल्य पंक्ति का अधिकारी, जो परिवार कल्याण का भारसाधक है, पदेन सदस्य-सचिव होगा।
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१. २००३ के अधिनियम सं० १४ की धारा १० द्वारा प्रतिस्थापित ।
