भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८
अध्याय ४ :
इस अधिनियम के अधीन मामलों का अन्वेषण :
धारा १७ :
अन्वेषण करने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति :
दंड प्रक्रिया संहिता ,१९७३(१९७४ का २) में किसी बात के होते हुए भी, निम्नलिखित की पंक्ति से नीचे का कोई भी पुलिस अधिकारी ,-
क) दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन की दशा मे, पुलिस निरीक्षक;
ख) मुंबई, कलकत्ता, मद्रास और अहमदाबाद के महानगरीय क्षेत्रों में, और दंड प्रक्रिया संहिता ,१९७३(१९७४ का २) की धारा ८ की उपधारा (१) के अधीन इस रूप में अधिसूचित किसी अन्य क्षेत्र में, सहायक पुलिस आयुक्त ;
ग) अन्यत्र, उस पुलिस अधीक्षक, या समतुल्य रैंक का पुलिस अधिकारी; इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध का अन्वेषण, यथास्थिति, महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना, अथवा उसके लिए कोई गिरफ्तारी, वारंट के बिना, नहीं करेगा :
परंतु यदि कोई पुलिस अधिकारी जा पुलिस निरीक्षक की पंक्ति से नीचे का न हो साधारण या विशेष आदेश द्वारा इस निमित्त राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत है तो वह भी ऐसे किसी अपराध का अन्वेषण, यथास्थिति, महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना, अथवा उसके लिए गिरफ्तारी वारंट के बिना, कर सकेगा :
परंतु यह और धारा १३ की उपधारा (१) के १.(खंड (ख)) में निर्दिष्ट किसी अपराध का अन्वेषण ऐसे पुलिस अधिकारी के आदेश के बिना नहीं किया जाएगा जो पुलिस अधीक्षक की पंक्ति से नीचे का न हो ।
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१. सन २०१८ का अधिनियम क्रमांक १६ की धारा ११ द्वारा (खंड (ङ)) शब्दां के स्थान पर प्रतिस्थापित ।