भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम १९८८
धारा १३ :
लोक सेवक द्वारा आपराधिक अवचार :
१.(कोई लोक सेवक आपराधिक अवचार का अपराध करने वाला कहा जाएगा,-
क) यदि वह लोक सेवक के रुप में अपने को सौपी गई किसी संपत्ति या अपने नियंत्रणाधीन किसी संपत्ति का अपने उपयोग के लिए बेईमानी से या कपटपूर्वक दुर्विनियोग करता है या उसे अन्यथा संपरिवर्तित कर लेता है या किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा करने देता है; या
ख) यदि वह अपनी पदावधि के दौरान अवैध रुप से अपने आशय को समृद्ध करता है ।
स्पष्टीकरण १ :
किसी व्यक्ति के बारे में यह उपधारणा की जाएगी कि उसने अवैध रुप से अपेन को साशय समृद्ध बनाया है, यदि वह या उसकी ओर से कोई अन्य व्यक्ति अपनी पदावधि के दौरान किसी समय अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से अनुनपातिक धनीय संसाधन या संपत्ति उसके कब्जे में है या रही है, जिसके लिए लोक सेवक समाधानप्रद रुप से हिसाब नहंीं दे सकता है ।
स्पष्टीकरण २ :
पद आय के ज्ञात स्रोत से किसी विधिपूर्ण स्रोत से प्राप्त आय अभिप्रेत है ।)
२) कोई लोक सेवक जो आपराधिक अवचार करेगा इतनी अवधि के लिए, जो २.(चार वर्ष ) से कम की न होगी किंतु जो २.(दस वर्ष) तक की हो सकेगी, कारावास से दंडनीय होगा और जुर्माने का भी दायी होगा ।
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१. सन २०१८ का अधिनियम क्रमांक १६ की धारा ७ द्वारा उपधारा (१) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. २०१४ के अधिनियम सं. १ की धारा ५८ और अनुसूची द्वारा प्रतिस्थापित ।
इसे से पूर्व उपधारा (१) निम्नलिखित नुसार थी ।
(१)कोई सेवक आपराधिक अवचार का अपराध करने वाला कहा जाता है, –
क) यदि वह अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए वैध पारिश्रमिक से भिन्न कोई परितोषण ऐसे हेतु या इनाम के रूप में, जैसा धारा ७ में वर्णित है किसी व्यक्ति से अभ्यासत: प्रतिगृहीत या अभिप्राप्त करता है या प्रतिगृहीत करने के लिए सहमत होता है या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न करता है, या
ख) यदि वह अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई मूल्यवान चीज प्रतिफल के बिना या ऐसे प्रतिफल के लिए जिसका अपर्याप्त होना वह जानता है किसी ऐसे व्यक्ति से जिसका कि अपने द्वारा या किसी ऐसे लोक सेवक द्वारा, जिसके वह अधीनस्थ है, की गई या की जा सकने वाली किसी कार्रवाई या कारबार से संबध्द रहा होना, होना या हो सकना वह जानता है अथवा किसी ऐसे व्यक्ति से जिसका ऐसे संबध्द व्यक्ति में हितबध्द या उससे संबंधित होना वह जानता है, अभ्यासत: प्रतिगृहीत या अभिप्राप्त करता है या प्रतिगृहीत करने के लिए सहमत होता है या अभिप्राप्त करने का प्रयत्न करता है, या
ग) यदि वह लोक सेवक के रूप में अपने को सौंपी गई या अपने नियंत्रणाधीन किसी संपत्ति का अपने उपयोग के लिए बेइमानी से या कपटपूर्वक दुर्विनियोग करता है या उसे अन्यथा संपरिवर्तित कर लेता है या किसी अन्य व्यक्ति को ऐसा करने देता है, या
घ) यदि वह-
१) भ्रष्ट या अवैध साधनों से अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई मूल्यवान चीज या धन संबंधी फायदा अभिप्राप्त करता है; या
२)लोक सेवक के रूप में अपनी स्थिति का अन्यथा दुरूपयोग करके अपने लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई मूल्यवान चीज या धन संबंधी फायदा अभिप्राप्त करता है; या
३) लोक सेवक के रूप में पद धारण करके किसी व्यक्ति के लिए कोई मूल्यवान चीज या धन संबंधी फायदा बिना किसी लोक हित के अभिप्राप्त करता है; या
ड)यदि उसके या उसकी ओर से किसी व्यक्ति के कब्जे में ऐसे धन संबंधी साधन तथा ऐसी संपत्ति है जो उसकी आय के ज्ञात स्त्रोतों की अनुपातिक है अथवा उसके पद की कालावधि के दौरान किसी समय कब्जे में रही है जिसका कि वह लोक सेवक, समाधानप्रद लेखा-जोखा नहीं दे सकता ।
स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजनों के लिए आय के ज्ञात स्त्रोत से अभिप्रेत है किसी विधिपूर्ण स्त्रोत से प्राप्त आय, जिस प्राप्ति की संसूचना, लोक सेवक को तत्समय लागू किसी विधि, नियमों या आदेशों के उपबंधों के अनुसार दे दी गई है ।)