Pca act 1960 धारा ९ : बोर्ड के कृत्य :

पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम १९६०
धारा ९ :
बोर्ड के कृत्य :
बोर्ड के निम्नलिखित कृत्य होंगे
(a)(क) पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण करने के लिए भारत में प्रवृत्त विधि का बराबर अध्ययन करते रहना और ऐसी किसी विधि में समय-समय पर किए जाने वाले संशोधनों के सम्बन्ध में सरकार को सलाह देना ;
(b)(ख) इस अधिनियम के अधीन नियम बनाने के संबंध में केन्द्रीय सरकार को इस दृष्टि से सलाह देना कि पशुओं के प्रति अनावश्यक पीड़ा या यातना का साधरणतया और, विशिष्टतया तब जब वे एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाए जा रहे हों या जब उनका उपयोग करतब दिखाने वाले पशुओं के रूप में किया जा रहा हों या जब वे बंधुआ हालत में या परिरोध में रखे गए हों, निवारण किया जा सके।
(c)(ग) सरकार को या किसी स्थानीय प्राधिकारी या अन्य व्यक्ति को यह सलाह देना कि यानों के डिजाइनों का सुधार इस प्रकार किया जाए जिससे कि भार ढोने वाले पशुओं पर बोझ कम किया जा सके;
(d)(घ) सायबानों, चरहियों और वैसी ही चीजों के निर्माण को प्रोत्साहन देकर अथवा उनकी व्यवस्था करके तथा पशुओं के लिए पशु चिकित्सा सहायता की व्यवस्था करके १.(पशुओं की बेहतरी) के लिए ऐसे सभी उपाय करना जिन्हें बोर्ड ठीक समझे;
(e)(ङ) वधशालाओं के डिजाइन तैयार करने अथवा उन्हें बनाए रखने अथवा पशुओं के इस प्रकार वध के सम्बन्ध में, कि पशुओं के प्रति वध-पूर्व प्रक्रमों में अनावश्यक शारीरिक या मानसिक पीड़ा या यातना को जहां तक संभव हो समाप्त किया जा सके और पशुओं का, जहां कहीं आवश्यक हो, यथासंभव दयालु ढंग से वध किया जा सके, सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी अथवा किसी अन्य व्यक्ति को सलाह देना ;
(f)(च) यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसे पशुओं को, जिनकी जरूरत नहीं रह गई है, या तो तत्क्षण, या पीड़ा अथवा यातना के प्रति उन्हें संज्ञाहीन बना कर, स्थानीय प्राधिकारियों द्वारा, जब कभी वैसा करना आवश्यक हो, नष्ट कर दिया जाए, सभी ऐसे उपाय करना जिन्हें बोई उचित समझें ;
(g)(छ) १.(पिंजरापोलों, बचावगृहों, पशुआश्रयों, पशुवनों और वैसे ही अन्य स्थानों के, जहां पशु और पक्षी बुढ़े और बेकार हो जाने पर, या जब उन्हें संरक्षण की आवश्यकता हो तब, शरण पा सकें, निर्माण या स्थापना को) वित्तीय सहायता प्रदान करके अथवा अन्यथा, प्रोत्साहन देना ;
(h)(ज) पशुओं के प्रति अनावश्यक पीड़ा या यातना के निवारण के प्रयोजनार्थ अथवा पशु-पक्षियों की संरक्षा के लिए स्थापित संगमों या निकायों के साथ सहयोग करना और उनके कार्य का समन्वय करना;
(i)(झ) किसी स्थानीय क्षेत्र में कार्य कर रहे पशु-कल्याण संगठनों को वित्तीय तथा अन्य सहायता देना, अथवा किसी स्थानीय क्षेत्र में किन्हीं ऐसे पशु-कल्याण संगठनों के निर्माण को प्रोत्साहन देना जो बोर्ड के सामान्य अधीक्षण और मार्गदर्शन में कार्य करेंगे।
(j)(ञ) सरकार को चिकित्सा देख-रेख और परिचर्या की उन बातों के बारे में सलाह देना जिनकी व्यवस्था पशु अस्पतालों में की जाए और जब कभी बोर्ड पशु-अस्पतालों को वित्तीय तथा अन्य सहायता देना आवश्यक समझे तब ऐसी सहायता देना;
(k)(ट) पशुओं के प्रति दयालुतापूर्ण बर्ताव करने की शिक्षा देना और पशुओं को अनावश्यक पीड़ा या यातना पहुंचाने के विरुद्ध, तथा व्याख्यानों, पुस्तकों, पोस्टरों, चलचित्र, प्रदर्शनी तथा अन्य वैसी ही बातों से पशु-कल्याण कार्यों को बढ़ावा देने के लिए, लोकमत तैयार करना;
(l)(ठ) पशु-कल्याण कार्यों अथवा पशुओं के प्रति अनावश्यक पीड़ा या यातना के निवारण से संबंधित बातों के बारे में सरकार को सलाह देना।
——–
१. १९८२ के अधिनियम सं० २६ की धारा ९ द्वारा कतिपय शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।

Leave a Reply