पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम १९६०
धारा २ :
परिभाषाएं :
इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, –
(a)(क) पशु से अभिप्रेत है वह जीवित प्राणी जो मनुष्य से भिन्न है ;
(b)१.(ख) बोर्ड से धारा ४ के अधीन स्थापित और धारा क के अधीन समय-समय पर यथा पुनर्गठित बोर्ड अभिप्रेत है;)
(c)(ग) बंधुआ पशु से अभिप्रेत है कोई पशु (जो पालतू पशु न हो) जो चाहे स्थायी रूप से अथवा अस्थायी रूप से बंधुआ हालत में हो या परिरोध में हो, या जिसे बंधुआ हालत अथवा परिरोध में से उसके निकल भागने में रुकावट डालने या निकल भागने की रोकथाम करने के प्रयोजनार्थ कोई साधित्र या यन्त्र लगाकर रखा गया हो, या जिसे बांध कर रखा गया हो, या जो विकलांग कर दिया गया हो या विकलांग हो गया प्रतीत होता हो;
(d)(घ) पालतू पशु से ऐसा पशु अभिप्रेत है जो साधाया हुआ है, या जो मनुष्य के काम आने के लिए किसी प्रयोजन की पूर्ति के निमित्त पर्याप्त रूप से साधाया गया है या साधाया जा रहा है, या जो, भले ही वह न तो इस प्रकार साधाया गया हो और न साधाया जा रहा हो और न ही उसका इस प्रकार साधाया जाना आशयित हो, वस्तुत: पूर्णत: या अंशत: साधाया हुआ है या हो गया है;
(e)(ङ) स्थानीय प्राधिकारी से नगरपालिका समिति, जिला बोर्ड या अन्य ऐसा प्राधिकारी अभिप्रेत है, जिसमें किसी विनिर्दिष्ट स्थानीय क्षेत्र में किन्हीं मामलों का नियंत्रण और प्रशासन विधि द्वारा तत्समय निहित है;
(f)(च) स्वामी के अन्तर्गत, जब कि उसका प्रयोग किसी पशु के प्रति निर्देश से किया गया हो, न केवल स्वामी किन्तु कोई ऐसा अन्य व्यक्ति भी है जिसके कब्जे में या जिसकी अभिरक्षा में वह पशु, चाहे स्वामी की सहमति से या उसके विना, तत्समय हो;
(g)(छ) फूका या डूमदेव के अन्तर्गत दुधारू पशु की योनि में वायु या किसी अन्य पदार्थ को इस उद्देश्य से प्रविष्ट करने की प्रक्रिया है जिससे कि उस पशु से दूध का कोई स्राव निकाला जा सके।
(h)(ज) विहित से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
(i)(झ) मार्ग के अन्तर्गत कोई ऐसा रास्ता, सडक़, गली, चौक, आंगन, वीथि, पथ या खुला स्थान आता है, चाहे वह आम रास्ता हो या न हो, जिस तक जनता की पहुंच हो।
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१. १९८२ के अधिनियम सं० २६ की धारा २ द्वारा खंड (ख) के स्थान पर प्रतिस्थापित।