पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम १९६०
अध्याय १ :
प्रारम्भिक :
धारा १ :
संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ :
(१९६० का अधिनियम संख्यांक ५९)
पशुओं को अनावश्यक पीडा या यातना पहुंचाने के निवारणार्थ और उस प्रयोजन के लिए पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण सम्बन्धी विधि का संशोधन करने के लिए अधिनियम
भारत गणराज्य के ग्यारहवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रुप में यह अधिनियमित किया जाता है :-
—————-
(१) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, १९६० है।
(२) इसका विस्तार १.(***) सम्पूर्ण भारत पर है।
(३) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे, और विभिन्न राज्यों के लिए तथा इस अधिनियम के विभिन्न उपबंधों के लिए विभिन्न २.(तारीखें) नियत की जा सकती हैं।
——–
१. २०१९ के अधिनियम सं० ३४ की धारा ९५ और अनुसूची ५ द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय इन शब्दों का लोप किया गया।
२. १ अप्रैल, १९६१, पंजाब राज्य और अंदमान और निकोबार द्वीप समूह संघ राज्यक्षेत्र के लिए, देखिए अधिसूचना सं० का० आ० ८२३, तारीख । अप्रैल, १९६१, भारत का राजपत्र १९६१ भाग दो, खड ३(दो), पृ० ८०६।
१ सितम्बर, १९६१ अध्याय १ और २ के लिए, असम, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, केरल, मद्रास, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मैसूर, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बंगाल राज्यों और दिल्ली, मणिपुर तथा त्रिपुरा संघ राज्य छेत्र के सम्बन्ध में देखिए अधिसूचना सं० का आ० २०६१, तारीख २५ अगस्त, १९६१, भारत का राजपत्र, १९६१ भाग दो, खंड ३(दो), पृ०२१५४।
२ अक्तूबर, १९६१, अध्याय १ और २ के लिए, हिमाचल प्रदेश संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में, देखिए अधिसूचना सं० का०आ०-२२८६, तारीख १५ सितम्बर, १९६१, भारत का राजपत्र, भाग दो, खंड ३(दो), पृ० २३९७।
२६ जनवरी, १९६२. अध्याय १ और २ के लिए, राजस्थान राज्य के सम्बन्ध में, देखिए अधिसूचना सं० का०आ० २१, तारीख २८ दिसम्बर, १९६१, भारत का राजपत्र, भाग दो, खंड ३(दो), पृ०११।
१५ जुलाई, १९६३, अध्याय ४ के लिए, असम, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, केरल, मद्रास, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मैसूर, उड़ीसा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बंगाल राज्यों और दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा संघ राज्यक्षेत्रों के सम्बन्ध में, देखिए अधिसूचना सं० का आ० २०००, तारीख ११ जुलाई, १९६३, भारत का राजपत्र, भाग दो, खंड ३(दो), पृ० २२४२।
२० नवम्बर, १९६३. अध्याय ३ और ४ के लिए असम, आन्ध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, केरल, मद्रास, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मैसूर, उड़ीसा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों तथा दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा संघ राज्य क्षेत्रों के सम्बन्ध में, देखिए अधिसूचना सं० का आ० ३१६०, तारीख २९ अक्तूबर, १९६३, भारत का राजपत्र, १९६१ भाग दो खंड ३(दो), पृ० ३९८०।
१९६३ के विनियम सं० ७ की धारा ३ द्वारा और अनुसूची १ द्वारा १ अक्तूबर, १९६३ से यह अधिनियम पांडिचेरी में प्रवृत्त हुआ।
१९६३ के नियम सं० ६ की धारा २ और अनुसूची १ द्वारा(१ जुलाई, १९६५ से) दादरा और नागर हेवली पर विस्तारित और प्रवृत्त किया गया।
१९६३ के विनियम सं० ११ की धारा ३ और अनुसूची द्वारा गोवा, दमन और दीव पर विस्तारित ।
१ मार्च, १९९३ से सिक्किम राज्य में प्रवृत्त किया गया।