Passports act धारा ६ : पासपोर्ट यात्रा-दस्तावेज, आदि देने से इन्कार :

पासपोर्ट अधिनियम १९६७
धारा ६ :
पासपोर्ट यात्रा-दस्तावेज, आदि देने से इन्कार :
(१) इस अधिनियम के अन्य उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए यह है कि पासपोर्ट प्राधिकारी किसी विदेश के परिदर्शन के लिए पृष्ठांकन करने से धारा ५ की उपधारा (२) के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) के अधीन इन्कार निम्नलिखित एक या अधिक आधारों पर ही करेगा, न कि अन्य किसी आधार, पर अर्थात :-
(a)(क) आवेदन ऐसे देश में ऐसे क्रियाकलाप में लग सकता है या उनमें उसका लगना संभाव्य है जो भारत की प्रभुता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हैं ;
(b)(ख) ऐसे देश में आवेदक की उपस्थिति भारत की सुरक्षा के लिए अहितकर हो सकती है या होनी सम्भाव्य है;
(c)(ग) ऐसे देश में आवेदक की उपस्थिति से उस या किसी अन्य देश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है या पड़ना सम्भाव्य है;
(d)(घ) आवेदक की ऐसे देश में उपस्थिति केन्द्रीय सरकार की राय में लोकहित में नहीं है।
(२) इस अधिनियम के अन्य उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए यह है कि पासपोर्ट प्राधिकारी किसी विदेश के परिदर्शन के लिए पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करने से धारा ५ की उपधारा (२) के खण्ड (ग) के अधीन निम्नलिखित एक या अधिक आधारों पर ही इन्कार करेगा, न कि अन्य किसी आधार पर, अर्थात: –
(a)(क) आवेदक भारत का नागरिक नहीं है;
(b)(ख) आवेदक भारत से बाहर ऐसे क्रियाकलाप में लग सकता है या उनमें उसका लगना सम्भाव्य है जो भारत की प्रभुता और अखण्डता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हों;
(c)(ग) आवेदक का भारत से प्रस्थान भारत की सुरक्षा के लिए अहितकर हो सकता है या होना सम्भाव्य है;
(d)(घ) आवेदक की भारत से बाहर उपस्थिति से किसी विदेश के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है या पड़ना सम्भाव्य है;
(e)(ङ) आवेदक, अपने आवेदन की तारीख से ठीक पहले की पांच वर्ष की कालावधि के दौरान किसी भी समय भारत में के किसी न्यायालय द्वारा नैतिक अधमता अंतर्वलित करने वाले किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराया गया है और उसकी बाबत दो वर्ष से अन्यून के कारावास से दण्डादिष्ट किया गया है;
(f)(च) किसी ऐसे अपराध की बात, जिसका आवेदक द्वारा किया जाना अभिकथित है, कार्यवाहियां भारत में किसी दण्ड न्यायालय के समक्ष लम्बित हैं;
(g)(छ) आवेदक की हाजिरी के लिए कोई वारण्ट या समन, या उसकी गिरफ्तारी के लिए कोई वारण्ट, किसी तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन किसी न्यायालय द्वारा जारी किया गया है या आवेदक का भारत से प्रस्थान प्रतिषिद्ध करने का कोई आदेश ऐसे किसी न्यायालय द्वारा किया गया है;
(h)(ज) आवेदक संप्रत्यावर्तित किया जा चुका है और उसने उस व्यय की प्रतिपूर्ति नहीं की है जो ऐसे संप्रत्यावर्तन के सम्बन्ध में उपगत हुआ:
(i)(झ) आवेदक को पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज जारी करना केन्द्रीय सरकार की राय में लोकहित में न होगा।

Leave a Reply