पासपोर्ट अधिनियम १९६७
धारा १०ख :
१.(प्रज्ञापना का विधिमान्यकरण :
केन्द्रीय सरकार या अभिहित अधिकारी द्वारा, पासपोर्ट (संशोधन) अधिनियम, २००२ के प्रारंभ के पूर्व किसी विमान पत्तन पर या पोतारोहण या आप्रवास के किसी अन्य स्थान पर किसी आप्रवास प्राधिकारी को धारा १० की उपधारा (३) के अधीन पासपोर्ट या यात्रा-दस्तावेज के किसी धारक के भारत से प्रस्थान को निर्वधित या किसी भी रीति से प्रतिषिद्ध करते हुए दी गई प्रत्येक प्रज्ञापना धारा १०क की उपधारा (१) के अधीन आदेश समझी जाएगी और ऐसा आदेश पासपोर्ट (संशोधन) अधिनियम, २००२ के प्रारंभ की तारीख से या ऐसी प्रज्ञापना देने की तारीख से, जो भी पश्चात्वर्ती हो, तीन मास की अवधि के लिए प्रवृत्त बना रहेगा ।
स्पष्टीकरण :
धारा १०क और धारा १०ख के प्रयोजनों के लिए अभिहित अधिकारी पद से केन्द्रीय सरकार द्वारा लिखित आदेश द्वारा, उस रूप में अभिहित अधिकारी या प्राधिकारी अभिप्रेत है।)
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१. २००२ के अधिनियम सं० १७ की धारा २ द्वारा (२३-१०-२००१ से) अंत:स्थापित ।