Nsa act 1980 धारा ७ : फरार व्यक्तियों के संबंध में शक्तियां :

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८०
धारा ७ :
फरार व्यक्तियों के संबंध में शक्तियां :
(१) यदि, यथास्थिति, केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या धारा ३ की उपधारा (३) में वर्णित अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण है कि जिस व्यक्ति के संबंध में निरोध-आदेश किया गया है वह फरार हो गया है या अपने को छिपा रहा है जिससे उस आदेश का निष्पादन नहीं हो सकता तो वह सरकार या अधिकारी –
(a)(क) उस तथ्य की लिखित रिपोर्ट उस महानगर मजिस्ट्रेट या प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट को देगा जो उस स्थान पर अधिकारी रखता है जहां उक्त व्यक्ति मामूली तौर पर निवास करता है;
(b)(ख) राजपत्र में अधिसुचित आदेश द्वारा उक्त व्यक्ति को निदेश दे सकेगा कि वह ऐसे अधिकारी के समक्ष ऐसे स्थान पर और ऐसी अवधि के भीतर, जो आदेश में विनिर्दिष्ट की जाए, हाजिर हो।
(२) उपधारा (१) के खण्ड (क) के अधीन किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई रिपोर्ट कर दिए जाने पर, दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) की धारा ८२, ८३, ८४, और ८५ के उपबन्ध ऐसे व्यक्ति और उसकी सम्पत्ति के सम्बन्ध में इस प्रकार लागू होंगे मानो उसे निरुद्ध करने का आदेश, मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किया गया वारंट हो ।
(३) यदि कोई व्यक्ति उपधारा (१) के खण्ड (ख) के अधीन जारी किए गए किसी आदेश का अनुपालन करने में असफल रहता है तो, जब तक कि वह यह साबित नहीं कर देता है कि उसका अनुपालन करना उसके लिए सम्भव नहीं था और उसने आदेश में वर्णित अधिकारी को आदेश में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर उस कारण की, जिससे उसका अनुपालन असम्भव था, तथा अपने पते-ठिकाने की सूचना दे दी थी, वह कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डनीय होगा।
(४) दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) में किसी बात के होते हुए भी, उपधारा (३) के अधीन प्रत्येक अपराध संज्ञेय होगा।

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