राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८०
धारा ५क :
१.(निरोध के आधारों का पृथक किया जाना :
जहां कोई व्यक्ति धारा ३ के अधीन ऐसे निरोध-आदेश के (चाहे वह राष्ट्रीय सुरक्षा (दूसरा संशोधन) अधिनियम, १९८४ के प्रारम्भ के पूर्व या उसके पश्चात किया गया हो) अनुसरण में, जो दो या अधिक आधारों पर किया गया है, निरुद्ध किया गया है वहां ऐसे निरोध-आदेश के बारे में यह समझा जाएगा कि वह ऐसे आधारों में से प्रत्येक आधार पर अलग-अलग किया गया है और तद्नुसार:-
(a)(क) ऐसे आदेश के बारे में यह नहीं समझा जाएगा कि वह केवल इस कारण अविधिमान्य या अप्रवर्तनीय है कि ऐसे आधारों में से एक या कुछ आधार :-
(एक) स्पष्ट नहीं हैं;
(दो) विद्यमान नहीं है;
(तीन) सुसंगत नहीं हैं;
(चार) उस व्यक्ति से संबद्ध नहीं हैं या उससे निकटत: संबद्ध नहीं हैं; या
(पांच) किसी भी अन्य कारण से अविधिमान्य हैं,
और इस कारण यह अभिनिर्धारित करना संभव नहीं है कि ऐसा आदेश करने वाली सरकार या अधिकारी का वैसा समाधान हो गया था जैसा कि शेष आधार या आधारों के प्रति धारा ३ में उपबंधित है और उसने निरोध-आदेश किया था;
(b)(ख) निरोध-आदेश करने वाली सरकार या अधिकारी के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने उक्त धारा के अधीन निरोध आदेश अपना वैसा समाधान हो जाने के पश्चात किया था जैसा कि शेष आधार या आधारों के प्रति उस उपधारा में उपबंधित है।)
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१. १९८४ के अधिनियम सं० ६० की धारा २ द्वारा (२१-६-१९८४ से) अन्त:स्थापित।