राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम १९८०
धारा १५ :
निरुद्ध व्यक्तियों का अस्थायी तौर पर छोड़ा जाना :
(१) समुचित सरकार किसी भी समय निदेश दे सकेगी कि निरोध-आदेश के अनुसरण में निरुद्ध कोई व्यक्ति, या तो बिना शर्तों के या निदेश में विनिर्दिष्ट ऐसी शर्तों पर, जिन्हें वह व्यक्ति स्वीकार करे, किसी विनिर्दिष्ट अवधि के लिए छोड़ दिया जाए और उसका छोड़ा जाना वह किसी भी समय रद्द कर सकेगी।
(२) उपधारा (१) के अधीन किसी व्यक्ति के छोड़े जाने का निदेश देते समय, समुचित सरकार उससे अपेक्षा कर सकेगी कि वह निदेश में विनिर्दिष्ट शर्तों के उचित पालन के लिए प्रतिभुओं सहित या उनके बिना बंधपत्र निष्पादित करे।
(३) उपधारा (१) के अधीन छोड़ा गया कोई व्यक्ति अपने को उस समय और स्थान पर और उस प्राधिकारी के समक्ष अभ्यर्पित करेगा जो, यथास्थिति, उसके छोड़ जाने का निदेश देने वाले या उसका छोड़ा जाना रद्द करने वाले आदेश में विनिर्दिष्ट हो।
(४) यदि पर्याप्त कारण के बिना कोई व्यक्ति उपधारा (३) में विनिर्दिष्ट रीति से अपने को अभ्यर्पित करने में असफल रहेगा तो वह कारावास से, जिसको अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डनीय होगा।
(५) यदि उपधारा (१) के अधीन छोड़ा गया कोई व्यक्ति उस पर उक्त उपधारा के अधीन अधिरोपित शर्तों पर उसके द्वारा निष्पादित बन्धपत्र की शर्तों में से किसी को पूरा करने में असफल रहेगा तो उन बन्धपत्र का समपèहत किया जाना घोषित कर दिया जाएगा और उसके द्वारा आबद्ध व्यक्ति उसमें दी गई शास्ति का देनदार होगा।