स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
धारा ६३ :
अधिहरण करने में प्रक्रिया :
१) इस अधिनियम के अधीन अपराधों के विचारण में, चाहे अभियुक्त को सिद्धदोष या दोषमुक्त या उन्मोचित किया जाता है, न्यायालय यह विनिश्चय करेगा कि क्या इस अधिनियम के अधीन अभिगृहीत कोई वस्तु या चीज धारा ६० या धारा ६१ या धारा ६२ के अधीन अधिहरण के लिए दायी है और यदि वह यह विनिश्चय करता है कि वस्तु इस प्रकार अधिहरण के लिए दायी है तो वह तद्नुसार अधिहरण का आदेश कर सकेगा ।
२) जहां इस अधिनियम के अधीन अभिगृहीत कोई वस्तु या चीज धारा ६० या धारा ६१ या धारा ६२ के अधीन अधिहरण के लिए दायी प्रतीत होती है किन्तु वह व्यक्ति जिसने उसके संबंध में अपराध किया है, ज्ञान नहीं है या पाया नहीं जा सकता है वहां न्यायालय ऐसे दायित्व के बारे में जांच कर सकेगा तथा तद्नुसार अधिहरण का आदेश कर सकेगा :
परन्तु किसी वस्तु या चीज के अधिहरण का कोई आदेश, अभिग्रहण की तारीख से एक मास की समाप्ति तक या ऐसे किसी व्यक्ति की, जो उसके प्रति किसी अधिकार का दावा करे, सुनवाई के और ऐसे साक्ष्य के, यदि कोई हो, बिना जो वह अपने दावे की बाबत पेश करता है, नहीं किया जाएगा :
परन्तु यह और कि यदि किसी स्वापक ओषधि, मन:प्रभावी पदार्थ, १(नियंत्रित पदार्थ), अफीम पोस्त, कोका के पौधे या कैनेबिस के पौधे से भिन्न कोई वस्तु या चीज शीघ्रतया और प्रकृत्या क्षयक्षल है या यदि न्यायालय की यह राय है कि उसका विक्रय उसके स्वामी के फायदे के लिए होगा तो वह उसके विक्रय के लिए किसी समय निदेश दे सकेगा और इस उपधारा के उपबंध विक्रय के शुद्ध आगमों को यथाशक्य साध्य रुप में लागू होंगे ।
२.(***).
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१. २००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा २९ द्वारा अंत:स्थापित ।
२. २००१ के अधिनियम सं. ९ की धारा ३० द्वारा लोप किया गया ।
