स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
धारा ३८ :
कंपनियों द्वारा अपराध :
१) जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया है वहां प्रत्येक व्यक्ति, जो उस अपराध के किए जाने के समय उस कंपनी के कारबार के संचालन के लिए उस कंपनी का भारसाधक और उसके प्रति उत्तरदायी था और साथ ही वह कंपनी भी, उस अपराध के दोषी समझे जाएंगे तथा तद्नुसार अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने और दण्डित किए जाने के भागी होंगे :
परन्तु इस उपधारा की कोई बात किसी व्यक्ति को किसी दण्ड का भागी नहीं बनाएगी यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किए जाने का निवारण करने के लिए सभी सम्यक् तत्परता बरती थी ।
२) उपधारा (१) में किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि वह अपराध कंपनी के किसी निदेशक, प्रबन्धक, सचिव या अन्य अधिकारी की सहमति या मौनानुकूलता से किया गया है या उसकी किसी उपेक्षा के कारण हुआ माना जा सकता है वहां ऐसा निदेशक, प्रबन्धक, या सचिव या अन्य अधिकारी भी, उस अपराध का दोषी समजा जाएगा तथा तद्नुसारा अपने विरुद्ध कार्यवाही किए जाने औ दण्डित किए जाने का भागी होगा ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए, –
क) कंपनी से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और उसके अंतर्गत फर्म या व्यष्टियों का अन्य संगम है, और
ख) फर्म के संबंध में निदेशक से उस फर्म का भागीदार अभिप्रेत है ।
