Ndps act धारा ३४ : अपराध के किए जाने से प्रवरित रहने के लिए प्रतिभूति :

स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम १९८५
धारा ३४ :
अपराध के किए जाने से प्रवरित रहने के लिए प्रतिभूति :
१) जब कभी कोई व्यक्ति अध्याय ४ के किसी उपबन्ध के अधीन दण्डनीय किसी अपराध का सिद्धदोष ठहराया जाता है और उसे सिद्धदोष ठहराने वाले न्यायालय की यह राय है कि ऐसे व्यक्ति से इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करने से प्रविरत रहने के लिए बन्धपत्र निष्पादित करने की अपेक्षा की जानी आवश्यक है तो वह न्यायालय ऐसे व्यक्ति को दण्ड पारित करते समय उसे आदेश दे सकेगा कि वह तीन वर्ष से अनधिक की एसी अवधि के दौरान, जिस नियत करना वह न्यायालय ठीक समझे, अध्याय ४ के अधीन कोई अपराध करने से प्रविरत रहने के लिए प्रतिभुओं सहित या उनके बिना, अपने साधनों की आनुपातिक राशि के लिए बन्धपत्र निष्पादित करे ।
२) बन्धपत्र ऐसे प्ररुप में होगा जो केन्द्रीय सरकार विहित करे और दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (१९७४ का २) के उपबन्ध, जहां तक वे लागू होते है, ऐसे बन्धपत्र से संबंधित सभी बातों को इस प्रकार लागू होंगे मानो वे परिशांति बनाए रखने के लिए उस संहिता को धारा १०६ के अधीन निष्पादित किए जाने के लिए आदिष्ट बन्धपत्र हों ।
३) यदि दोषसिद्धि, अपील पर या अन्यथा, अपास्त कर दी जाती है तो इस प्रकार निष्पादित बन्धपत्र शून्य हो जाएगा ।
४) इस धारा के अधीन कोई आदेश किसी अपील न्यायालय द्वारा या उच्च न्यायालय द्वारा या सेशन न्यायाधीश द्वारा भी जब वह पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग कर रहा हो, किया जा सकेगा ।

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