Mv act 1988 धारा ६७ : राज्य सरकार की सडक परिवहन का नियंत्रण करने की शक्ति :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा ६७ :
राज्य सरकार की सडक परिवहन का नियंत्रण करने की शक्ति :
१.(१) कोई राज्य सरकार निम्नलिखित को ध्यान में रखते हुए,-
(a)क) पब्लिक, व्यापार और उद्योग को मोटर परिवहन के विकास द्वारा प्रस्तावित फायदों,
(b)ख) सडक और रेल परिवहन को समन्वित करने की वांछनीयता;
(c)ग) सडक प्रणाली की अवनति को निवारित करने की वांछनीयता; और
(d)घ) परिवहन सेवा प्रदाताओं के बीच प्रभावी प्रतिस्पर्धा का संवधर्न करने के लिए,
समय-समय पर राजपत्र में अधिसूचना द्वारा राज्य परिवहन प्राधिकरण और प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण दोनों को यात्रियों की सुविधा, आर्थिक रुप से प्रतिस्पर्धा किरायों, भीडभाड को रोकने और सडक सुरक्षा के लिए निदेश जारी कर सकेगी ।)
२) मंजिली-गाडी, ठेका-गाडी और माल-वाहन के लिए किराया और माल-भाडा नियत करने से संबंधित उपधारा (१) के अधीन किसी निदेश में यह उपबंध किया जा सकेगा कि ऐसे किराए या माल-भाडे में यात्री और माल पर कर से संबंधित तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन मंजिली-गाडी,ठेका-गाडी या माल-वाहनों के प्रचालकों को, यथास्थिति, यात्रियों या माल भेजने वालों द्वारा संदेय कर भी सम्मिलित होगा :
२.(परंतु राज्य सरकार ऐसी शर्तो क अधीन रहते हुए, जो वह उचित समझे और उपधारा (१) के खंड (घ) में विनिर्दिष्ट उद्देश्यों को हासिल करने के लिए इस अध्याय के अधीन सभी या किन्ही उपबंधों को शिथिल कर सकेगी ।)
३.(३) इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के अधीन जारी किसी परमिट को उपांतरित कर सकेगी या मालों और यात्रियों के परिवहन के लिए स्कीमें बना सकेगी और ऐसी स्कीमों के अधीन परिवहन के विकास और दक्षता के संवर्धन के लिए अनुज्ञप्तियां जारी कर सकेगी –
(a)क) अंतिम स्थान को संपर्क;
(b)ख) ग्रामीण परिवहन;
(c)ग) ट्रैफिक की भीडभाड को कम करना;
(d)घ) शहरी परिवहन में सुधार;
(e)ङ) सडक के उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा;
(f)च) परिवहन आस्तियों का बेहतर उपयोग;
(g)छ) प्रतिस्पर्धा, उत्पादकता और दक्षता के माध्यम से क्षेत्र की आर्थिक ओजस्विता का वर्धन;
(h)ज) लोगों की पहुंच और सचलता में वृद्धि ;
(i)झ) पर्यावरण का संरक्षण और वर्धन;
(j)ञ) ऊर्जा संरक्षण का संवर्धन;
(k)ट) जीवन की क्वालिटी में सुधार;
(l)ठ) परिवहन के तरीकों में और उनमें परिवहन प्रणाली के एकीकरण और संपर्क का वर्धन; और
(m)ड) ऐसे अन्य विषय, जिन्हें केंद्रीय सरकार उचित समझे ।
४) उपधारा (३) के अधीन विरचित स्कीम प्रभारित की जाने वाली फीसों, आवेदन के प्ररुप और अनुज्ञप्ति अनुदत्त करने को, जिसके अंतर्गत ऐसी अनुज्ञप्ति का नवीकरण, निलंबन, रद्द करना या उपांतरण है, को विनिर्दिष्ट करेगी ।)
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ३१ द्वारा उपखंड (१) राज्य सरकार-
क) मोटर परिवहन के विकास से जनता, व्यापार और उद्योग को होने वाले फायदे ;
ख) सडक और रेल परिवहन में समन्वय करने की वांछनीयता ;
ग) सडक प्रणाली का क्षय होने से रोकने की वांछनीयता; और
घ) परमिट धारकों के बीच अलाभकर प्रतियोगिता को रोकने की वांछनीयता,
को ध्यान में रखते हुए राज्य परिवहन प्राधिकारण और प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण, दोनों को, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, समय- समय पर निम्नलिखित की बाबत निदेश दे सकेगी –
एक) मंजिली-गाडी, ठेका-गाडी तथा माल-वाहन के लिए किराए आर माल भाडे को नियत करना (जिनके अंतर्गत अधिकतम तथा न्यूनतम किराए और माल भाडे, नियत करना भी है );
१.(* * *)
दो)ऐसी शर्तो पर, जो ऐसे निदेशों में विनिर्दिष्ट की जाए, साधारणत: लंबी दूरी वाले माल- यातायात का अथवा विनिर्दिष्ट वर्गो के मालों का माल वाहनों द्वारा प्रवहण किए जाने का प्रतिषेध या निर्बंन्धन ;
तीन)कोई अन्य विषय जिसकी बाबत राज्य सरकार को यह प्रतीत हो कि वह साधारणत: मोटर परिवहन का विनियमन करने और विशिष्टत: उसके परिवहन के अन्य साधनों में समन्वय करने तथा लंबी दूरी वाले माल- यातायात के प्रवहण संबंधी किसी करार को, जो केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार या किसी अन्य देश की सरकार से किया गया हो, प्रभावी करने के लिए आवश्यक या समीचीन है :
परंतु खंड (२) या खंड (३) में निर्दिष्ट विषयों की बाबत ऐसी कोई अधिसूचना तब तक निकाली जाएगी जब तक प्रस्थापित निदेशों का प्रारूप राजपत्र में वह तारीख विनिर्दिष्ट करते हुए प्रकाशित नहीं कर दिया जाता जो ऐसे प्रकाशन के कम से कम एक मास पश्चात् की ऐसी तारीख होगी जिसको या जिसके पश्चात् उस प्रारूप पर विचार किया जाएगा और जब तक किसी आक्षेप या सुझाव पर, जो प्राप्त हो, उन व्यक्तियों के, जिनके हित प्रभावित होते हैं, प्रतिनिधियों को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात् राज्य परिवहन प्राधिकरण के परामर्श से विचार नहीं कर लिया जाता ।) के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ३१ द्वारा परंतुक अंत:स्थापित ।
३. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ३१ द्वारा उपधारा (२) के पश्चात अंत:स्थापित ।

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