Mv act 1988 धारा ६४ : केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा ६४ :
केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति :
केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित सभी विषयों या उनमें से किसी का उपबंध करने के लिए नियम बना सकेगी, अर्थात् :-
(a)क) वह अवधि जिसके भीतर और वह प्ररूप जिसमें कोई आवेदन किया जाएगा और वे दस्तावेजें, विशिष्टयां और जानकारी जो उसके साथ धारा ४१ की उपधारा (१) के अधीन होंगी ;
(b)ख) वह प्ररूप जिसमें रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र बनाया जाएगा और वे विशिष्ेिटयां और जानकारी जो उसमें अंतर्विष्ट होंगी और वह रीति, जिसमें वह धारा ४१ की उपधारा (३) के अधीन दिया जाएगा ;
(c)ग) वह प्ररूप और रीति, जिसमें रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र की विशिष्टियां धारा ४१ की उपधारा (५) के अधीन रजिस्ट्रीकर्ता प्राधिकारी के अभिलेखों में दर्ज की जाएगी ;
(d)घ) वह रीति जिससे और वह प्ररूप जिसमें धारा ४१ की उपधारा (६) में निर्दिष्ट रजिस्ट्रीकरण चिहन, अक्षर और अंक तथा अन्य विशिष्टियां प्रदशिॅत और दशिॅत की जाएंगी ;
(da)१.(घक) धारा ४१ की उपधारा (७) के अधीन रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र की विधिमान्यता की अवधि के लिए उपबंध करने के लिए;)
(e)ड) वह अवधि जिसके भीतर और वह प्ररूप, जिसमें आवेदन किया जाएगा और वे विशिष्टियां और जानकारी जो धारा ४१ की उपधारा (८) के अधीन उसमें अन्तर्विष्ट होंगी ;
(ea)१.(ङक) धारा ४१ की उपधारा (१0) के अधीन विभिन्न किस्म के मोटर यानों के रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र के नवीकरण की अवधि;)
(f)च) वह प्ररूप जिसमें धारा ४१ की उपधारा (१४) में निर्दिष्ट आवेदन किया जाएगा और वे विशिष्टियां और जानकारी जो उसमें अंतर्विष्ट होंगी और वह फीस जो प्रभारित की जाएगी ;
(fa)१.(चक) धारा ४३ के अधीन अस्थायी रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र और अस्थायी रजिस्ट्रीकरण चिन्ह जारी करने के लिए;
(fb)चख) वह निबंधन और शर्ते, जिनके अधीन प्राधिकृत डीलर द्वारा विक्रय किए गए किसी मोटर यान की धारा ४४ की उपधारा (१) के अधीन किसी रजिस्ट्रीकरण प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने की अपेक्षा नहीं होगी;)
(g)छ) वह प्ररूप जिसमें और वह अवधि जिसके भीतर, धारा ४७ की उपधारा (१) में निर्दिष्ट ओवदन किया जाएगा और वे विशिष्टियां जो उसमें अतंर्विष्ट होंगी ;
(h)ज) वह प्ररूप जिसमें और वह रीति जिससे आक्षेप न होने का प्रमाणपत्र के लिए आवेदन धारा ४८ की उपधारा (१) के अधीन किया जाएगा और धारा ४८ की उपधारा (२) के अधीन जारी की जाने वाली रसीद का प्ररूप ;
(i)झ) ऐसे विषय, जिनका किसी आवेदक द्वारा अनुपालन धारा ४८ के अधीन आक्षेप न होने का प्रमाणपत्र दिए जाने के पूर्व किया जाना है;
(j)ञ) वह प्ररूप जिसमें पते में तब्दीली की संसूचना धारा ४९ की उपधारा (१) के अधीन दी जाएगी और वे दस्तावेज जो आवेदन के साथ दिए जाएंगे ;
(ja)१.(ञक) पते में परिवर्तन की इलैक्ट्रानिकी रुप में संसूचना प्रस्तुत करने का प्ररुप और रीति, ऐसी संसूचना के साथ प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेज, जिसके अंतर्गत धारा ४९ की उपधारा (१क) के अधीन अधिप्रमाणन का सबूत भी है;)
(k)ट) वह प्ररूप जिसमें वह रीति जिससे स्वामित्व के अंतरण की संसूचना धारा ५० की उपधारा (१) के अधीन या धारा ५० की उपधारा (२) के अधीन दी जाएगी या वह दस्तावेज जो आवेदन के साथ दिया जाएगा ;
(l)ठ)वह प्ररूप जिसमें धारा ५१ की उपधारा (२) या उपधारा (३) के अधीन आवेदन किया जाएगा ;
(la)१.(ठक) धारा ५२ की उपधारा (१) के अधीन अनुमोदन, पुन:संयोजन और मोटर यानों में परिवर्तन से संबंधित अन्य विषयों के विनिर्देश, अनुमोदन की शर्ते;
(lb)ठख) धारा ५२ की उपधारा (२) के अधीन किसी मोटर यान को रुपांतरित यान में परिवर्तित करने की शर्ते;)
(m)ड) वह प्ररूप जिसमें ठीक हालत में होने का प्रमाणपत्र धारा ५६ की उपधारा (१) के अधीन दिया जाएगा और वे विशिष्टियां और जानकारी जो उसमें अंतर्विष्ट होंगी;
(n)ढ) वह अवधि जिसके लिए धारा ५६ के अधीन दिया गया या नवीकृत किया गया ठीक हालत में होने का प्रमाणपत्र प्रभावी रहेगा ;
(na)१.(ढक) धारा ५६ की उपधारा (६) के अधीन परिवहन यानों की बाडी पर लगाया जाने वाला सुभिन्न चिन्ह;
(nb)ढख) वह शर्ते, जिनके अधीन धारा ५६ के लागू होने का धारा ५६ की उपधारा (७) के अधीन गैर परिवहन यानों पर विस्तार किया जा सकेगा;
(nc)ढग) मोटर यानों और उनके भागों का, जिनका धारा ५९ की उपधारा (४) के अधीन उपयोगी जीवन समाप्त हो गया है, पुन:चक्रण;)
(o)ण) रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र के दिए जाने या नवीकरण या परिवर्तन के लिए, रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में स्वामित्व के अंतरण की बाबत प्रविष्टि करने, रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र में अवक्रय या पट्टा या आडमान करार की बाबत कोई पृष्ठांकन करने या उसे रद्द करने के लिए, रजिस्ट्रीकरण चिहनों के लिए, ठीक हालत में होने के प्रमाणपत्रों के लिए, और मोटर यानों की परीक्षा या निरीक्षण के लिए प्रभारित की जाने वाली फीसें और ऐसी फीसों का प्रतिदाय ;
(oa)१.(णक) धारा ६२ख की उपधारा (१) के अधीन सभी या कोई विषय;
(ob)णख) धारा ६३ की उपधारा (१) और उपधारा (२) के अधीन सभी या कोई विषय;)
(p)त) कोई अन्य विषय, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा विहित किया जाना है या विहित किया जाए ।
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा २७ द्वारा अंत:स्थापित ।

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