Mv act 1988 धारा २०८ : मामलों का संक्षिप्त निपटारा :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा २०८ :
मामलों का संक्षिप्त निपटारा :
१) इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध (उस अपराध से भिन्न जिसे केन्द्रीय सरकार, नियमों द्वारा, इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे का संज्ञान करने वाला न्यायालय अभियुक्त व्यक्ति पर तामील किए जाने वाले समन में –
१)उस दशा में जिसमें अपराध इस अधिनियम के अधीन कारावास से दंडनीय है, यह कह सकेगा कि वह, और
२)किसी अन्य मामले में,
यह करेगा कि वह –
(a)क) स्वयं या अभिवक्ता द्वारा उपस्थित हो ;या
(b)ख) आरोप की सुनवाई के पूर्व किसी विनिर्दिष्ट तारीख तक यह अभिवचन करे कि वह आरोप का दोषी है और न्यायालय को, धनादेश द्वारा, उतनी धनराशि (जो उस अधिकतम जुर्माने से अधिख नहीं होगी जो अपराध के लिए अधिरोपित की जा सके ) जितनी न्यायालय विनिर्दिष्ट करे, भेजे और धनादेश के कूपन में ही दोषी होने का अभिवचन करे :
परन्तु न्यायालय, उपधारा (२) में निर्दिष्ट अपराधों में से किसी अपराध की दशा में, समन में यह कथन करेगा कि यदि अभियुक्त दोषी होने का अभिवचन करता है तो वह ऐसा अभिवचन खंड (ख) में विनिर्दिष्ट रीति से करेगा और ऐसे अभिवाक् से युक्त अपने पत्र के साथ अपनी चालन अनुज्ञप्ति न्यायालय को भेजेगा ।
२)जहां वह अपराध, जिसकी बाबत उपधारा (१) के अनुसार कार्रवाई की गई है, ऐसा अपराध है जो केन्द्रीय सरकार द्वारा इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए नियमों द्वारा विनिर्दिष्ट किया गया है, वहां न्यायालय, यदि अभियुक्त व्यक्ति यह अभिवचन करता है कि वह आरोप का दोषी है और उसने अपने अभिवाक् से युक्त पत्र के साथ अपनी चालन अनुज्ञप्ति न्यायालय को भेजी है तो उसकी चालन- अनुज्ञप्ति पर ऐसी दोषसिध्दि को पृष्ठांकित करेगा ।
३)जहां अभियुक्त व्यक्ति दोषी होने का अभिवचन करता है और विनिर्दिष्ट राशि भेजता है तथा उसने, यथास्थिति, उपधारा (१) के या उपधारा (१) और उपधारा (२) के उपबंधों का अनपालन कर दिया है, वहां उस अपराध की बाबत उसके विरूध्द कोई और कार्यवाही नहीं की जाएगी और न उसे, इस अधिनियम में कसिी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, दोषी होने का अभिवचन करने के कारण अनुज्ञप्ति धारण करने या अभिप्राप्त करने से निरर्हित ही किया जाएगा ।

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