मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा २०७ :
रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र, परमिट, आदि के बिना उपयोग किए गए यानों के निरूध्द करने की शक्ति :
१) यदि राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति को यह विश्वास करने का कारण है कि किसी मोटर यान का उपयोग धारा ३ या धारा ४ या धारा ३९ के उपबन्धों का उल्लंघन करके या धारा ६६ की उपधारा (१) द्वारा अपेक्षित परमिट के बिना अथवा उस मार्ग सम्बन्धी, जिस पर उस क्षेत्र सम्बन्धी जिसमें अथवा उस प्रयोजन सम्बन्धी जिसके लिए उस यान का उपयोग किया जा सकता है, ऐसे परमिट की किसी शर्त का उल्लंघन करके किया गया है या किया जा रहा है तो वह उस यान को अभिगृहीत और विहित रीति से निरूध्द कर सकेगा और इस प्रयोजन के लिए ऐसे कोई कदम उठा सकेगा या उठवा सकेगा जो उस यान की अस्थायी सुरक्षित अभिरक्षा के लिए वह उचित समझे :
परन्तु जहां ऐसे अधिकारी या व्यक्ति को यह विश्वास करने का कारण है कि किसी मोटर यान का उपयोग धारा ३ या धारा ४ का उल्लंघन करके, या धारा ६६ की उपधारा (१) द्वारा अपेक्षित परमिट के बिना किया गया है या किया जा रहा है वहां वह यान को अभिगृहीत करने के बजाय यान के रजिस्ट्रीकरण का प्रमाणपत्र अभिगृहीत कर सकेगा तथा उसके लिए अभिस्वीकृति देगा।
२)जहां कोई मोटर यान उपधारा (१) के अधीन अभिगृहीत और निरूध्द किया गया है वहां उस मोटर यान का स्वामी या उसका भारसाधक व्यक्ति, परिवहन प्राधिकारी या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी को, ऐसे यान के निर्मुक्त कर देने के लिए सुसंगत दस्तावेजों के साथ आवेदन कर सकेगा,और ऐसा प्राधिकारी या अधिकारी ऐसे दस्तवेजों का सत्यापन करने के पश्चात्, आदेश द्वारा यान को ऐसी शर्ताे के अधीन निर्मुक्त कर सकेगा जो वह प्राधिकारी या अधिकारी अधिरोपित करना ठीक समझे ।