Mv act 1988 धारा २०६ : पुलिस अधिकारी की दस्तावेज परिबध्द करने की शक्ति :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा २०६ :
पुलिस अधिकारी की दस्तावेज परिबध्द करने की शक्ति :
१)यदि किसी पुलिस अधिकारी अथवा राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत अन्य व्यक्ति को यह विश्वास करने का कारण है कि किसी मोटर यान पर ले जाया जाने वाला कोई भी पहचान चिहन अथवा कोई अनुज्ञप्ति, परमिट, रजिस्ट्रीकरण प्रमाणपत्र, बीमा प्रमाणपत्र,या अन्य दस्तावेज, जिसे मोटर यान के ड्राइवर या अन्य भारसाधक व्यक्ति द्वारा उसके समक्ष पेश किया गया है, भारतीय दंड संहिता (१८६० का ४५) की धारा ४६४ के अर्थ में मिथ्या दस्तावेज है, तो वह उस चिहन या दस्तावेज को अभिगृहीत कर सकेगा तथा यान के ड्राइवर या स्वामी से यह अपेक्षा कर सकेगा कि वह ऐसे चिहन या दस्तावेज के अपने कब्जे में होने अथवा यान में विद्यमान होने का कारण बताए ।
२)यदि राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी पुलिस अधिकारी अथवा अन्य व्यक्ति को यह विश्वास करने का कारण है कि किसी मोटर यान का ड्राइवर जिस पर इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का आरोप है, फरार हो सकता है या समन की तामील से अन्यथा बच सकता है तो वह ऐसे ड्राइवर द्वारा धारित किसी अनुज्ञप्ति को अभिगृहीत कर सकेगा और उस अपराध का संज्ञान करने वाले न्यायालय के पास उसे भेज सकेगा तथा उक्त न्यायालय अपने समक्ष ऐसे ड्राइवर के प्रथम बार उपस्थित होने पर उस अनुज्ञप्ति को ऐसी अस्थायी अभिस्वीकृति के बदले मेंं, जो उपधारा (३) के अधीन दी गई है, उसे लौटा देगा ।
३) कोई पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति, जिसने उपधारा (२) के अधीन किसी अनुज्ञप्ति को अभिगृहीत किया है, उस व्यक्ति को, जिसने अनुज्ञप्ति अभ्यर्पित की है, उसके लिए अस्थायी अभिस्वीकृति देगा तथा ऐसा अभिस्वीकृति धारक को जब तक वह अनुज्ञप्ति उसे लौटा नहंी दी जाती अथवा ऐसी तारीख तक जो पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति द्वारा उस अभिस्वीकृति में निर्दिष्ट की गई है, इनमें से जो भी पूर्वतर हो, यान चलाने के लिए प्राधिकृत करेगी :
परन्तु यदि राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति का, उससे आवेदन किए जाने पर यह समाधान हो जाता है कि वह अनुज्ञप्ति उसके धारक को अभिस्वीकृति में विनिर्दिष्ट तारीख से पूर्व ऐसे किसी कारण से, जिसके लिए वह धारक उत्तरदायी नहीं है,नहीं लौटाई जा सकती अथवा नहीं लौटाई गई है तो, यथास्थिति, मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति मोटर चलाने के प्राधिकार की अवधि को उस तारीख तक के लिए बढा सकेगा जो अभिस्वीकृति में विनिर्दिष्ट की जाए ।
१.(४) राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति, यदि उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि मोटर यान के चालक ने धारा १८३, धारा १८४, धारा १८५, धारा १८९, धारा १९०, धारा १९४ग , धारा १९४घ, या धारा १९४ङ में से किसी धारा के अधीन कोई अपराध किया है तो ऐसे चालक द्वारा धारित चालन अनुज्ञप्ति को जब्त करेगा और उसे धारा १९ के अधीन निर्हरत संबंधी कार्रवाहियों के लिए अनुज्ञापन प्राधिकारी का अग्रेषित करेगा :
परन्तु अनुज्ञप्ति को जब्त करने वाला व्यक्ति उसके लिए अस्थायी अभिस्वीकृति अनुज्ञप्ति अभ्यर्पण करने वाले व्यक्ति को देगा किंतु ऐसी अभिस्वीकृति धारक को तब तक चालन करने के लिए प्राधिकृत नहीं करेगी जब तक कि अनुज्ञप्ति उसको न लौटा दी गई है ।)
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ८८ द्वारा उपधारा (३) के पश्चात् अंत:स्थापित ।

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