मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा २०१ :
यातायात के मुक्त प्रवाह में अवरोध डालने के लिए शास्ति :
१)जो कोई किसी १.(***) यान को किसी सार्वजनिक स्थान पर ऐसी रीति से रखेगा जिससे कि यातायात का मुक्त प्रवाह अवरूध्द होता है तो वह, जब तक यान उस स्थिति में रहता है, २.(पांच सौ रुपए) तक की शास्ति के लिए दायी होगा :
परन्तु दुर्घटनाग्रस्त यान केवल उस समय से शास्ति का दायी होगा जिस समय विधि के अधीन निरीक्षण की औपचारिकताएं पूरी हो जाती हैं :
३.(परन्तु यह और कि जहां यान किसी सरकारी अभिकरण द्वारा हटाया जाता है वहां ४.(हटाने के प्रभार) यान के स्वामी या ऐसे यान के भारसाधक व्यक्ति से वसूल किए जाएंगे ।)
५.(२) इस धारा के अधीन शास्तियां या अनुकर्षण प्रभार ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा वसूल किए जाएंगे जिसे राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, प्राधिकृत करे । )
६.(३) उपधारा (१) वहां लागू नहीं होगी जहां मोटर यान ने अनवेक्षित खराबी हो गई है और हटाए जाने की प्रक्रिया में है ।)
७.(स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए हटाए जाने के प्रभारों के अंतर्गत अनुकर्षण के माध्यम सहित और ऐसे मोटर यान के भंडारण से संबद्ध किन्ही लागतों सहित भी एक अवस्थिति से दूसरी अवस्थिति तक एक मोटर यान के हटाए जाने में अंतवर्लित कोई लागत सम्मिलिति होगी ।)
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ८७ द्वारा (निर्याेग्य) शब्द का लोप किया गया ।
२. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ८७ द्वारा (प्रति घंटा पचास रूपए) शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ५९ द्वारा अंत:स्थापित ।
४. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ८७ द्वारा (अनुकर्षण प्रभार) शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
५.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ५९ द्वारा प्रतिस्थापित ।
६. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ८७ द्वारा उपधारा (२) के पश्चात् अंत:स्थापित ।
७. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ८७ द्वारा उपधारा (३) के पश्चात स्पष्टीकरण अंत:स्थापित ।