मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १९२ :
१.(रजिस्ट्रीकरण के बिना यान का उपयोग :
१) जो कोई धारा ३९ के उपबंधों के उल्लंघन में, किसी मोटर यान को चलाएगा अथवा मोटर यान का उपयोग कराएगा या किए जाने देगा, वह प्रथम अपराध के लिए जुर्माने से, जो पांच हजार रूपए तक का हो सकेगा, किन्तु दो हजार रूपए से कम का नहीं होगा, दंडनीय होगा तथा किसी द्वितीय या पश्चात्वर्ती अपराध के लिए कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो दस हजार रूपए तक का हो सकेगा, किन्तु पांच हजार रूपए से कम का नहीं होगा, अथवा दोनों से, दण्डनीय होगा :
परन्तु न्यायालय ऐसे कारणों से जो लेखबध्द किए जाएंगे, कोई लघुतर दण्ड अधिरोपित कर सकेगा ।)
२) इस धारा की कोई बात आपात के दौरान ऐसे व्यक्तियों को ले जाने के लिए, जो रोग से या क्षति से ग्रस्त हैं या कष्ट निवारण के लिए खाद्य या सामग्रियो के या वैसे ही प्रयोजन के लिए चिकित्सीय प्रदायों के परिवहन के लिए मोटर यान के उपयोग के संबंध में लागू नहीं होगी :
परन्तु यह तब जबकि वह व्यक्ति, जो यान का उपयोग कर रहा है, उसके बारे में रिपोर्ट प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण को ऐसे उपयोग की तारीख से सात दिन के भीतर दे दे ।
३) वह न्यायालय, जिसमें उपधारा (१) में विनिर्दिष्ट प्रकृति के अपराध की बाबत किसी दोषसिध्दी की अपील होती है, निचले न्यायालय द्वारा किए गए किसी आदेश को, इस बात के होते हुए भी अपास्त कर सकेगा या परिवर्तित कर सकेगा कि उस दोषसिध्दी विरूध्द, जिसके संबंध में ऐसा आदेश किया गया था कोई अपील नहीं होती है ।)
२.(स्पष्टीकरण :
धारा ५६ के उपबंधों के उल्लंघन में मोटर यान का उपयोग धारा ३९ के उपबंधों का उल्लंघन होना समझा जाएगा और उपधारा (१) में यथा उपबंधित वैसी ही रीति में दंडनीय होगा ।)
———–
१. १९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ५६ द्वारा प्रतिस्थापित ।
२. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ७४ द्वारा स्पष्टीकरण अंत:स्थापित ।