मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १८३ :
अत्यधिक गति आदि से चलाना :
१) जो कोई धारा ११२ में निर्दिष्ट गति- सीमा का उल्लंघन करके मोटर यान चलाएगा १.(या किसी ऐसे व्यक्ति से, जो उसके द्वारा नियोजित है या उसके नियंत्रण के अधीन किसी व्यक्ति से उसे चलावाएगा) वह जुर्माने से, २.(निम्नलिखि रीति में, अर्थात् :-
एक) जहां कोई ऐसा मोटर यान हल्का मोटरय यान है वहां ऐसे जुर्माने से, जो एक हजार रुपए से कम नहीं होगा किन्तु दो हजार रुपए तक हो सकेगा ;
दो) जहां ऐसा मोटर यान मध्यम माल यान या मध्यम यात्री यान या भारी माल यान या भारी यात्री यान है वहां ऐसे जुर्माने से, जो दो हजार रुपए से कम नहीं होगा किन्तु चार हजार रुपए तक को हो सकेगा; और
तीन) इस उपधारा के अधीन दुसरे या किसी पश्चात्वर्ती अपराध के लिए ऐसे चालक की चालन अनज्ञप्ति धारा २०६ की उपधारा (४) के उपबंधों के अनुसार परिबद्ध कर ली जाएगी ।)
३.(***)
३)कोई व्यक्ति केवल एक साक्षी के इस आशय के साक्ष्य पर ही कि उस साक्षी की राय में ऐसा व्यक्ति ऐसी गति से यान को चला रहा था जो विधिविरूध्द है, तब तक दोषसिध्द नहीं किया जाएगा जब तक उस राय की बाबत यह दर्शित नहंी कर दिया जाता है कि वह किसी यांत्रिक ४.(या इलेक्ट्रोनिक) युक्ति के उपयोग से अभिप्राप्त प्राक्कलन पर आधारित है ।
४)ऐसी समय सारणी का प्रकाशन जिसके अधीन ऐसे किसी निदेश का दिया जाना जिसके अनुसार कोई यात्रा या यात्रा का भाग विनिर्दिष्ट समय के अन्दर पूरा कर लिया जाना है, उस दशा में, जिसमें न्यायालय की यह राय है कि मामले की परिस्थितियों में यह साक्ष्य नहीं है कि वह यात्रा या यात्रा का भाग धारा १२२ में निर्दिष्ट गति-सीमा का उल्लंघन किए बिना विनिर्दिष्ट समय के अन्दर पूरा कर लिया जाए, इस बात प्रथमदृष्टया साक्ष्य होगा कि जिस व्यक्त ने वह समय सारणी प्रकाशित की है या वह निदेश दिया है उसने ५.(उपधारा (१)) के अधीन दण्डनीय अपराध किया है ।
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ६६ द्वारा (मोटार यान चलाएगा) शब्दों के पश्चात अंत:स्थापित ।
२. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ६६ द्वारा (जो चार सौ रूपए तक का हो सकेगा, या इस उपधारा के अधीन अपराध के लिए पहले ही दोषसिध्द हो चुकने पर इस उपधारा के अधी अपराध के लिए पुन:दोषसिध्द होने की दशा में जुर्माने से, जो एक हजार रूपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा ।) शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
३. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ६६ द्वारा उपधारा (२) जो कोई ऐसे व्यक्ति से, जो मोटर यान चलाने के लिए उसके द्वारा नियोजित या उसके नियंत्रणाधीन है, धारा ११२ में निर्दिष्ट गति-सीमा का उल्लंघन करते हुए चलवाएगा, वह जुर्माने से, जो तीन सौ रूपए तक का हो सकेगा या इस उपधारा के अधीन अपराध केलिए पहले ही दोषसिध्द हो चुकने पर इस उपधारा के अधीन अपराध के लिए पुन:दोषसिध्द होने की दशा में, जुर्माने से, जो पांच सौ रूपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा ।) का लोप किया गया ।
४. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ६६ द्वारा (यांत्रिक) शब्द के पश्चात् शब्द अंत:स्थापित ।
५. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ६६ द्वारा (उपधारा (२)) शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित ।