मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १८२क :
१.(मोटर यानों और उनके संघटकों के संनिर्माण, रखरखाव, विक्रय और परिवर्तन से संबंधित अपराधों के लिए दंड :
१) जो कोई मोटर यानों का विनिर्माता, आयातकर्ता या ब्यौहारी होने के कारण, मोटर यान का विक्रय करता है या परिदान करता है या उसका परिवर्तन करता है या विक्रय करने या परिदान करने या परिवर्तन करने की प्रस्थापना करता है जो अध्याय सात या उसके अधीन बनाए गए नियमों और विनियमों के उपबंधों का उल्लंघन में है, ऐसी अवधि के कारावास से जो एक वर्ष तक की हो सकेगा या दोनो से या ऐसे जुर्माने से जो ऐसे प्रत्येक मोटर यान के लिए एक लाख रुपए तक का हो सकेगा या दोनो से दंडनीय होगा :
परंतु कोई व्यक्ति इस धारा के अधीन सिद्धदोष नहीं ठहराया जाएगा यदि वह यह साबित कर देता है कि ऐसे मोटर यान के विक्रय या परिदान या परिवर्तन के समय उसने उस रीति जिसमें ऐसा मोटर यान अध्याय ७ या उसके अधीन बनाए गए नियमों और विनियमों के उपबंधों के उल्लंघन में था, के अन्य पक्षकारों को प्रकट किया था ।
२) जो कोई, मोटर यान का विनिर्माता होते हुए, अध्याय ७ या उसके अधीन बनाए गए नियमों और विनियमों का अनुपालन करने में असफल रहता है तो ऐसी अवधि के कारावास से जो एक वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसे जुर्माने जो एक अरब रुपए तक का हो सकेगा या दोनों से दंडनीय होगा ।
३) जो कोई, किसी मोटर यान के किसी संघटक का विक्रय करता है या विक्रय करने की प्रस्थापना करता है या उसके विक्रय को अनुज्ञात करता है, जिसे केंद्रीय सरकार द्वारा नाजुक सुरक्षा संघटक के रुप में अधिसूचित किया है और जो अध्याय ७ या उसके अधीन बनाए गए नियमों और विनियमों का अनुपालन नहीं करता है ऐसी अवधि के कारावास से जो एक वर्ष तक की हो सकेगी या ऐसे जुर्माने से जो ऐसे प्रत्येक संघटक के लिए एक लाख रुपए का हो सकेगा या दोनों से दंडनीय होगा ।
४) जो कोई मोटर यान का स्वामी होते हुए, मोटर यान, किसी मोटर यान, जिसके अंतर्गत, किसी ऐसी रीति में, मोटर यान के पुर्जो का पश्च फिटिंग करने के माध्यम भी है, का परिवर्तन करता है जो इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए अधिनियमों या नियमों और विनियमों के अधीन अनुज्ञात नहीं है, ऐसी अवधि के कारावास से, जो छह मास तक की हो सकेगी या ऐसे प्रत्येक परिवर्तन के लिए पांच हजार रुपए तक के जुर्माने या दोनों से दंडनीय होगा ।)
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ६५ द्वारा अंत:स्थापित ।