मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १५१ :
१.(बीमाकृत के दिवालिया होने पर बीमाकर्ता के विरुद्ध पर-पक्षकार के अधिकार :
जहां बीमा की किसी संविदा के, जो इस अध्याय के उपबंधों के अनुसार प्रभावी होती है, किसी व्यक्ति का ऐसे दायित्वों के विरुद्ध, जो वह पर-पक्षकार के प्रति उपगत कर सकता है, बीमाकृथ किया जाता है तब –
(a)क) व्यक्ति के दिवालिया होने या अपने लेनदारों के साथ प्रतिकर या ठहराव किए जाने की दशा में; या
(b)ख) जहां बीमाकृत व्यक्ति एक कंपनी है, कंपनी की बाबत परिसमापन के आदेश किए जाने या स्वैच्छया परिसमापन का संकल्प पारित किए जाने या कंपनी के कारबार के रिसीवर या प्रबंधक की सम्यक रुप से नियुक्ति किए जाने या प्रभार के अधीन या समाविष्ट संपत्ति के प्लवमान प्रभार द्वारा प्रतिभूति qडबचरों के धारकों द्वारा या उनकी ओर से कब्जे में लिए गए, की दशा में,
यदि उस घटना के पहले या पश्चात् बीमाकृत व्यक्ति द्वारा उपगत किये गए ऐसे दायित्व, दायित्व की बाबत संविदा के अधीन बीमाकर्ता के विरुद्ध उसके अधिकार, विधि के उपबंध के प्रतिकूल बात के होते हुए भी, पर-पक्षकार जिसके द्वारा दायित्व इस प्रकार उपगत किया गया था को अंतरित और उसमें निहित हो जाएगी ।
२) जहां दिवाला विषयक विधि के अधीन मृतक दावेदार की संपदा के प्रशासन के लिए आदेश किया जाता है तब पर-पक्षकार, जिसके विरुद्ध वह इस अध्याय के उपबंधों के अनुसार बीमा की संविदा के अधीन बीमाकृत था, के दायित्व की बाबत बीमाकर्ता के विरुद्ध अधिकार, विधि के किन्हीं उपबंधों में प्रतिकूल बात के होते हुए भी, ऐसे व्यक्ति जिसके द्वारा ऋृण धारित किया जाता है, को अंतरित और उसमें निहित हो जाएंगे ।
३) इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए जारी गई पालिसी की किसी ऐसे शर्त का, जो पालिसी को प्रत्यक्ष: या अप्रत्यक्ष: परिवर्जित या पक्षकारों के अधिकारों को परिवर्तित करने के लिए तात्पर्यित है इसके अधीन उपधारा (१) के खंड (क) या खंड (ख) में विनिर्दिष्ट घटना बीमाकृत व्यक्ति के साथ घटित होने पर या दिवाला विषयक विधि के अनुसार मृतक देनदार की संपदा के प्रशासन के लिए आदेश करने पर, कोई प्रभाव नहीं होगा ।
४) धारा (१) या उपधारा (२) के अधीन अंतरण पर बीमाकर्ता का पर-पक्षकार के प्रति वही दायित्व होगा जो उसका बीमाकृत व्यक्ति के प्रति होता, लेकिन-
(a)क) यदि बीमाकर्ता का बीमाकृत व्यक्ति के प्रति दायित्व, बीमाकृत व्यक्ति के पर-पक्षकार के प्रति दायित्व से अधिक है, तो ऐसी अतिशेष रकम की बाबत बीमाकृत व्यक्ति के बीमाकर्ता के विरुद्ध किसी अधिकार का इस अध्याय के अधीन कोई प्रभाव नहीं होगा ;
(b)ख) यदि बीमाकृत का बीमाकृत व्यक्ति के प्रति दायित्व, बीमाकृत व्यक्ति के पर-पक्षकार के प्रति दायित्व से कम है, तो ऐसी अधिक रकम की बाबत बीमाकृत व्यक्ति के बीमाकर्ता के विरुद्ध किसी अधिकार का इस अध्याय के अधीन कोई प्रभाव नहीं होगा ।)
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ५१ द्वारा अध्याय ११ प्रतिस्थापित ।