मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १४ :
मोटर यानों को चलाने की अनुज्ञप्तियों का चालू रहना :
१)इस अधिनियम के अधीन दी गई शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति, इस अधिनियम के अन्य उपबंधों के अधीन रहते हुए, अनुज्ञप्ति दिए जाने की तारीख से छह मास की अवधि तक प्रभावी रहेगी ।
२)इस अधिनियम के अधीन दी गई नवीकृत चालन-अनुज्ञप्ति-
(a)क) परिवहन यान को चलाने की अनुज्ञप्ति की दशा में, १.(पांच वर्ष) की अवधि तक प्रभावी रहेगी, २.(***)
३.(परन्तु खतरनाक या परिसंकटमय प्रकृति के माल को ले जाने वाले परिवहन यान को चलाने की अनुज्ञप्ति की दशा में, वह ४.(तीन वर्ष और उसका नवीकरण ऐसी शर्तो के अधीन होगा जैसा केंद्रीय सरकार विहित करे) और उसका नवीकरण इस शर्त के अधीन होगा कि चालक विहित पाठय विवरण का एक दिन का पुनश्चर्या पाठ पूरा करेगा; और )
(b)५.(ख) किसी अन्य अनुज्ञप्ति की दशा में ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, जो केंद्रीय सरकार विहित करे, यदि अनुज्ञप्ति अभिप्राप्त करने वाले व्यक्ति ने या तो मूल रुप में या उसके नवीकरण पर,-
एक) उसके जारी करने पर या उसके नवीकरण की तारीख को तीस वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की है तो वह उस तारीख तक प्रभावी होगा जिस तक ऐसा व्यक्ति चालीस वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेता है ; या
दो) उसके जारी करने पर या उसके नवीकरण की तारीख को तीस वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है किंतु पचास वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की है तो वह ऐसे जारी करने या नवीकरण करने की तारीख से दस वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी होगा ; या
तीन) उसके जारी करने पर या उसके नवीकरण की तारीख को पचास वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है किंतु पचपन वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की है तो वह ऐसे जारी करने या नवीकरण करने की तारीख से उस तारीख तक प्रभावी होगा जिसको वह साठ वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेता है ;या
चार) उसने, यथास्थिति, जारी करने पर या उसके नवीकरण की तारीख को पचपन वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है तो वह ऐसे जारी करने या नवीकरण करने की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी होगा ।)
६.(***)
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१. २०१९ के अधिनियम सं. ३२ की धारा ९ द्वारा तीन वर्ष शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
२.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ९ द्वारा (१४-११-१९९४ से ) लोप किया गया ।
३.१९९४ के अधिनियम सं. ५४ की धारा ९ द्वारा (१४-११-१९९४ से ) अंत:स्थापित ।
४. २०१९ के अधिनियम सं. ३२ की धारा ९ द्वारा विवक्षित शब्द के स्थान पर प्रतिस्थापित ।
५. २०१९ के अधिनियम सं. ३२ की धारा ९ द्वारा खंड ख के स्थान पर प्रतिस्थापित ।