मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १४६ :
१.(पर-पक्षकार जोखिमों के विरुद्ध बीमा की आवश्यकता :
१) कोई भी व्यक्ति, सिवाय किसी यात्री के रुप में, तब तक किसी सार्वजनिक स्थान पर किसी मोटर यान का उपयोग नहीं करेगा या किसी अन्य व्यक्ति से उपयोग नहीं करवाएगा या उसे उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा, जब तक कि, यथास्थिति, उस व्यक्ति या उस अन्य व्यक्ति द्वारा यान के उपयोग के संबंध में, इस अध्याय की अपेक्षाओं का अनुपालन करने वाली बीमा पालिसी प्रवृत्त न हो :
परंतु किसी ऐसे यान की दशा में, जो खतरनाक या परिसंकटमय मालों का वहन कर रहा है या उनका वहन करने के लिए है, लोक दायित्व बीमा अधिनियम १९९१ के अधीन बीमा की पालिसी भी होगी ।
स्पष्टीकरण :
इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, किसी मोटर यान का, संदाय प्राप्त करने वाले कर्मचारी के रुप में चालन करने वाले किसी व्यक्ति के, जब यान के उपयोग के संबंध में इस उपधारा द्वारा यथापेक्षित कोई पालिसी प्रवृत्त नहंीं हैं, बारे में तब तक यह नहीं समझा जाएगा कि उसने इस उपधारा के उल्लंघन में कोई कार्य किया है, जब तक कि वह यह न जानता हो या उसके पास यह विश्वास करने का कारण न हो कि ऐसी कोई पालिसी प्रवृत्त है ।
२) उपधारा (१) के उपबंध केंद्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के स्वामित्व वाले किसी यान और ऐसे किसी यान को लागू नहीं होंगे, जिनका उपयोग किसी वाणिज्यिक उद्यम से असंबद्ध प्रयोजनों के लिए किया जा रहा है ।
३) समुचित सरकार, आदेश द्वारा, निम्नलिखित प्राधिकरणों में से किसी के स्वामित्व वाले किसी यान को उपधारा (१) के प्रवर्तन से छूट प्रदान कर सकेगी, अर्थात् :-
(a)क) केंद्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार, यदि यान का उपयोग किसी वाणिज्यिक उद्यम से संबद्ध प्रयोजनों के लिए किया जा रहा है;
(b)ख) किसी स्थानीय प्राधिकरण ;
(c)ग) किसी राज्य परिवहन प्राधिकरण ;
परंतु ऐसा कोई आदेश किसी ऐसे प्राधिकरण के संबंध में तब तक नही किया जाएगा जब तक कि किसी निधि की स्थापना न कर दी गई हो और उसे उस प्राधिकरण द्वारा उस रीति में, जो समुचित सरकार द्वारा विहित की जाए, बनाए रखा न जा रहा हो ।
स्पष्टीकरण :
इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए समुचित सरकार से, यथास्थिति केंद्रीय सरकार या कोई राज्य सरकार अभिप्रेत है, और –
एक) केंद्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के स्वामित्व वाले किसी निगम या कंपनी के संबंध में केन्द्रीय सरकार या वह राज्य सरकार अभिप्रेत है;
दो) केंद्रीय सरकार और एक या अधिक राज्य सरकारों के स्वामित्व वाले किसी निगम या कंपनी के संबंध में केंद्रीय सरकार अभिप्रेत है;
तीन) किसी अन्य राज्य परिवहन उपक्रम या किसी अन्य स्थानीय प्राधिकरण के संबंध में ऐसी सरकार अभिप्रेत है, जो उस उपक्रम या प्राधिकरण पर नियंत्रण रखती है ।)
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ५१ द्वारा अध्याय ११ प्रतिस्थापित ।