मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १३४क :
१.(नेक व्यक्ति कि संरक्षा :
१) कोई नेक व्यक्ति उस समय किसी मोटर यान को संलिप्त करने वाले किसी दुर्घटना के पीडित व्यक्ति को किसी क्षति या उसकी मृत्यु के लिए किसी सिविल या दांडिक कार्रवाई के लिए दायी नहीं होगा, जहां ऐसी क्षति या मृत्यु नेक व्यक्ति की आपातकाल चिकित्सीय या गैर चिकित्सीय देखरेख या सहायता करते समय कोई कार्रवाई करने या कारवाई करने में असफल रहने संबंधी अनावधानता के परिणामस्वरुप हुई है :
२) केंद्रीय सरकार, नियमों द्वारा, नेक व्यक्ति से पुछताछ या उसकी परीक्षा करने, नेक व्यक्ति से संबंधित निजी जानकारी के प्रकटन और ऐसे अन्य संबंधित विषयों हेतु प्रक्रिया के लिए उपबंध कर सकेगी ।
स्पष्टीकरण :
इस धारा के प्रयोजनों के लिए, नेक व्यक्ति से ऐसा कोई व्यक्ति अभिप्रेत है, जो सद्भावपूर्वक, स्वेच्छिक रुप से और बिना किसी परितोष या अनुतोष की आशश के दुर्घटना स्थल पर किसी पीडित व्यक्ति को आपातकाल चिकित्सीय या गैर चिकित्सीय देखरेख या सहायता उपलब्ध कराता है या ऐसे पीडित व्यक्ति को अस्तताल तक पहुंचाता है ।)
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१. २०१९ का अधिनियम सं. ३२ की धारा ४५ द्वारा धारा १३४ के पश्चात अंत:स्थापित ।