Mv act 1988 धारा १०५ : प्रतिकर अवधारित करने के सिध्दांत और रीति तथा उसका संदाय :

मोटर यान अधिनियम १९८८
धारा १०५ :
प्रतिकर अवधारित करने के सिध्दांत और रीति तथा उसका संदाय :
१) जहां धारा १०३ की उपधारा (२) के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कोई विद्यमान परमिट रद्द किया जाता है या उसके निबन्धनों में उपांतरण किया जाता है वहां उस परमिट के धारक को राज्य परिवहन उपक्रम द्वारा प्रतिकर दिया जाएगा जिसकी रकम, यथास्थिति, उपधारा (४) या उपधारा (५) के उपबंधों के अनुसार अवधारित की जाएगी ।
२)उपधारा (१) में किसी बात के होते हुए भी, किसी विद्यमान परमिट के रद्द किए जाने अथवा उसके निबन्धनों में कोई उपांतरण किए जाने के कारण कोई प्रतिकर उस दशा में देय न होगा जब उसके बदले में किसी दूसरे मार्ग या क्षेत्र के लिए, यथास्थिति, राज्य परिवहन प्राधिकरण या प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण ने परमिट देने का प्रस्ताव किया है और परमिट के धारक ने उसे स्वीकार कर लिया है ।
३)शंकाओं को दूर करने के लिए घोषित किया जाता है कि कोई भी प्रतिकर धारा १०३ की उपधारा (२) के खण्ड (क) के अधीन परमिट का नवीकरण करने से इन्कार करने के कारण देय न होगा ।
४)जहां धारा १०३ की उपधारा (२) के खण्ड (ख) या खण्ड (ग) के उपखण्ड (१) अथवा उपखण्ड (२) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कोई विद्यमान परमिट रद्द किया जाता है या उसके निबन्धनों में ऐसे उपांतरण किए जाते हैं कि परमिट का धारक उसके अधीन उपयोग के लिए प्राधिकृत किसी यान का उपयोग उस पूरी अवधि के लिए, जिसके लिए वह परमिट अन्यथा प्रभावी होता, करने से निवारित हो जाता है वहां ऐसे रद्द किए जाने या उपांतरण से प्रभावित प्रत्येक यान के लिए परमिट के धारक को दे प्रतिकर की संगणना निम्नलिखित रीति से की जाएगी :-
(a)क) परमिट की असमाप्त अवधि के प्रत्येक पूरे मास के लिए या मास के पन्द्रह दिन से अधिक के भाग के लिए-
दो सौ रूपए ;
(b)ख)परमिट की असमाप्त अवधि के मास के उस भाग के लिए जो पन्द्रह दिन से अधिक नहीं है –
एक सौ रूपए :
परन्तु प्रतिकर की रकम किसी भी दशा में चार सौ रूपए से कम न होगी ।
५)जहां धारा १०३ की उपधारा (२) के खण्ड (ग) के उपखण्ड (३) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए किसी विद्यमान परमिट के निबन्धनों में ऐसे उपांतरण किए जाते हैं कि उसके अधीन उपयोग के लिए प्राधिकृत किसी यान का क्षेत्र या मार्ग कम हो जाता है वहां ऐसी कमी के कारण परमिट के धारक को देय प्रतिकर निम्नलिखित सूत्र के अनुसार संगणित रकम होगी, अर्थात् :-
य * र
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स्पष्टीकरण – इस सूत्र में –
एक) य से वह दूरी या क्षेत्र अभिप्रेत है जितने से परमिट के अन्तर्गत मार्ग या क्षेत्र कम किया जाता है ;
दो) र से वह रकम अभिप्रेत है जो उपधारा (४) के अनुसार संगणित की गर्स है ;
तीन) म से मार्ग की वह कुल लम्बाई अथवा वह कुल क्षेत्र अभिप्रेत है जो परमिट के अंतर्गत है ।
६)इस धारा के अधीन देय प्रतिकर की रकम उसके हकदार व्यक्ति या व्यक्तियों को राज्य परिवहन उपक्रम द्वारा उस तारीख से, जिसको परमिट का रद्द किया जाना या परिवर्तन प्रभावी होता है, एक मास के अन्दर दी जाएगी :
परन्तु यदि राज्य परिवहन उपक्रम उक्त एक मास की अवधि के अन्दर उसे देने में असफल रहता है तो वह उस तारीख से, जिसको वह रकम देय होती है, उस पर सात प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज देगा ।

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