IT Act 2000 धारा ७०ख : १.(दुर्घटना मोचन के लिए भारतीय कंम्यूटर आपात मोचन दल का राष्ट्रीय आपात अभिकरण के रूप में सेवा करना :

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २०००
धारा ७०ख :
१.(दुर्घटना मोचन के लिए भारतीय कंम्यूटर आपात मोचन दल का राष्ट्रीय आपात अभिकरण के रूप में सेवा करना :
१)केंद्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, सरकार के किसी अभिकरण को नियुक्त करेगा जिसे भारतीय कंम्यूटर आपात मोचन दल कहा जाएगा।
२) केंद्रीय सरकार, उपधारा (१) में निर्दिष्ट अभिकरण में एक महानिदेशक और ऐसे अन्य अधिकारी तथा कर्मचारी उपलब्ध कराएगी, जो विहित किए जाएं ।
३)महानिदेशक और अन्य अधिकारियों तथा कर्मचारियों का वेतन और भत्ते तथा उनकी सेवा के निबंधन और शर्ते वे होंगी, जो विहित की जाएं ।
४) भारतीय कंम्यूटर आपात मोचन दल साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित कृत्यों का पालन करने वाले राष्ट्रीय अभिकरण के रूप में कार्य करेगा, –
(a)क) साइबर घटना संबंधी सूचना का संग्रहण, विश्लेषण और प्रसार ;
(b)ख) साइबर सुरक्षा घटनाओं का पूर्वानुमान और चेतावनियां ;
(c)ग) साइबर सुरक्षा घटनाओं से निपटाने के लिए आपात अध्युपाय ;
(d)घ) साइबर घटना मोचन क्रियाकलापों का समन्वय ;
(e)ड) साइबर घटनाओं की सूचना सुरक्षा पध्दतियों, प्रक्रियाओं, निवारण, मोचन और रिपोर्ट करने के संबंध में मार्गदर्शक सिध्दांत, सलाह, अति संवेदनशील टिप्पण और श्वेतपत्र जारी करना;
(f)च) साइबर सुरक्षा से संबंधित ऐसे अन्य कृत्य, जो विहित किए जाएं ।
५)उपधारा (१) में निर्दिष्ट अभिकरण के कृत्यों और कर्तव्यों का पालन करने की रीति वह होगी, जो विहित की जाए ।
६)उपधारा (४) के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए, उपधारा (१) में निर्दिष्ट अभिकरण सेवा प्रदाताओं, मध्यवर्तियों, डाटा केंद्रों, निगमित निकायों और किसी अन्य व्यक्ति से सूचना मांग सकेगा और उसे निदेश दे सकेगा ।
७) ऐसा कोई सेवा प्रदाता, मध्यवर्ती डाटा केंद्र, निगमित निकाय और अन्य व्यक्ति, जो उपधारा (६) के अधीन मांगी गई सूचना देने में या निदेश का अनुपालन करने में असफल रहता है, कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, जो २.(एक करोड) रूपए तक का हो सकेगा या दोनों से, दंडनीय होगा ।
८)कोई न्यायालय, इस धारा के अधीन किसी अपराध का संज्ञान, उपधारा (१) में निर्दिष्ट अभिकरण द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी द्वारा दिए गए किसी परिवाद पर के सिवाय नहीं करेगा ।)
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१. २००९ के अधिनियम सं. १० की धारा ३६ द्वारा अंत:स्थापित ।
२. जन विश्वास (संशोधन) अधिनियम २०२३ (२०२३ का १८) की धारा २ और अनुसूची द्वारा (एक लाख) शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।

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