सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम २०००
धारा ३३ :
अनुज्ञप्ति का अभ्यर्पण :
१) ऐसा प्रत्येक प्रमाणकर्ता प्राधिकारी, जिसकी अनुज्ञप्ति निलंबित या प्रतिसंहृत कर दी गई है, ऐसे निलंबन या प्रतिसंहरण के ठीक पश्चात् नियंत्रक को अनुज्ञप्ति अभ्यर्पित करेगा।
२) जहां कोई प्रमाणकर्ता प्राधिकारी, उपधारा (१) के अधीन किसी अनुज्ञप्ति का अभ्यर्पण करने में असफल रहेगा वहां वह व्यक्ति, जिसके पक्ष में अनुज्ञप्ति जारी की गई है, अपराध का दोषी होगा और १.(ऐसी शास्ति के लिए दायी होगा, जो पांच लाख रुपए तक की हो सकेगी।)
——-
१. जन विश्वास (संशोधन) अधिनियम २०२३ (२०२३ का १८) की धारा २ और अनुसूची द्वारा (कारावास से, जो छह् मास तक हो सकेगा या जुर्माने से, जो दस हजार रूपए तक हो सकेगा या दोनों से दंडित किया जाएगा।) शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित।